बासमती चावल के GI टैग पर कैप्टन सरकार को शिवराज का जवाब, बोले- ``25 वर्षों से उगा रहे हैं``
बासमती चावल के जीआई(जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग को लेकर पंजाब और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री आमने-सामने आ गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा लिखे गए पत्र की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आलोचना की है.
भोपाल : बासमती चावल के जीआई(जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग को लेकर पंजाब और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री आमने-सामने आ गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा लिखे गए पत्र की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आलोचना की है. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में 25 सालों से बासमती चावल का उत्पादन हो रहा है, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राइस रिसर्च हैदराबाद की रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख है. सीएम शिवराज ने कहा कि मैं पंजाब की कांग्रेस सरकार द्वारा लिखे पत्र को राजनीति से प्रेरित मानता हूं.
सीएम शिवराज ने अपने ट्वीट में कैप्टन अमरिंदर से पूछा ‘आखिर उनकी मध्यप्रदेश के किसान बन्धुओं से क्या दुश्मनी है? यह मध्यप्रदेश या पंजाब का मामला नहीं, पूरे देश के किसान और उनकी आजीविका का विषय है। मध्यप्रदेश को मिलने वाले GI टैगिंग से अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत के बासमती चावल की कीमतों को स्टेबिलिटी मिलेगी और देश के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा.’
मुख्यमंत्री शिवराज ने आंकड़ों के साथ कैप्टन अमरिंदर को जवाब दिया कि मध्यप्रदेश के 13 ज़िलों में वर्ष 1908 से बासमती चावल का उत्पादन हो रहा है, इसका लिखित इतिहास भी है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राईस रिसर्च, हैदराबाद ने अपनी 'उत्पादन उन्मुख सर्वेक्षण रिपोर्ट' में दर्ज किया है कि मध्यप्रदेश में पिछले 25 वर्ष से बासमती चावल का उत्पादन किया जा रहा है, पंजाब और हरियाणा के बासमती निर्यातक मध्यप्रदेश से चावल खरीद रहे हैं. भारत सरकार के निर्यात के आंकड़ें इस बात की पुष्टि करते हैं. भारत सरकार साल 1999 से मध्यप्रदेश को बासमती चावल के ब्रीडर बीज की आपूर्ति कर रही है. पाकिस्तान के साथ APEDA के मामले का मध्यप्रदेश के दावों से कोई संबंध नहीं है क्योंकि यह भारत के GI Act के तहत आता है और इसका बासमती चावल के अंतर्देशीय दावों से इसका कोई जुड़ाव नहीं है.
आपको बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मध्य प्रदेश के बासमती चावल की जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैगिंग देने पर नाराजगी जताई है. बुधवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उन्होंने इस पर रोक लगाने की मांग की है. कैप्टन का कहना है कि जीआई टैगिंग से कृषि उत्पादों को उनकी भौगोलिक पहचान दी जाती है. भारत से हर साल 33 हजार करोड़ की बासमती चावल का निर्यात होता है. अगर जीआई टैगिंग व्यवस्था से छेड़छाड़ हुई तो इससे भारतीय बासमती के बाजार को नुकसान हो सकता है और इसका सीधा-सीधा फायदा पाकिस्तान को मिल सकता है.
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क्या होता है जियोग्राफिकल इंडिकेशन
भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिए किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है. जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी अलग पहचान का सबूत है. भारत में अब तक लगभग 361 प्रोडक्ट्स को GI टैग मिल चुका है.
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