भारत की सड़कों पर जितनी स्पीड से गाड़ियां दौड़ती हैं, उतनी ही तेजी से एक्सीडेंट होते हैं. सरकार के आकड़ों के मुताबिक भारत की सड़कों पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं. इन सड़कों पर हर घंटे में 17 मौतें होती हैं. साल 2019 के आंकड़ों की बात करें तो भारत में हर रोज 1,230 एक्सीडेंट्स में 414 लोगों की जाने गई. यानी हर घंटे में 51 एक्सीडेंट और 17 मौत. बता दें कि इनमें से 57% लोग ऐसे हैं जो फोर व्हीलर से नहीं बल्कि पैदल चलते, साइकिल चलाते या टू-व्हीलर से जाते समय दुर्घटना का शिकार हुए.


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सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार भारत में हर साल साढ़े चार लाख से अधिक सड़क हादसों में तकरीबन डेढ़ लाख लोग मारे जाते हैं. साल 2018 में 467044 सड़क दुर्घटनाएं हुई जिनमें 151417 लोगों की मौत हुई. जिसके हिसाब से हर दिन 1279 सड़क हादसों और 414 मौतें हुईं. 


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साल 2019 सितंबर में नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू किया गया था. बावजूद इसके भारत की सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है. मगर साल 2018 के मुकाबले 2019 में एक्सीडेंट्स में मरने वालों की संख्या में 3.86%, और घायलों में 3.85% की कमी आई है. बात करें साल 2015 के आंकड़ों की तो उसकी तुलना में 50 हजार एक्सीडेंट कम तो हुए हैं, लेकिन पांच हजार एक्सीडेंट विक्टिम बढ़े हैं. 


बात करें रिपोर्ट्स की तो अमेरिका और जापान में भारत से अधिक एक्सीडेंस होते हैं. लेकिन भारत में एक्सीडेंट से मरने वालों की संख्या इन देशों से 4 गुना ज्यादा है. WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी 2018 के मुताबिक साल 2016 में सड़क दुर्घटना में दुनियाभर के कुल 13.5 लाख लोगों की मौतें हुईं. जिनमें अधिक्तर लोग 5-29 साल के बीच के थे. 


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