दिग्विजय के भाई लक्ष्मण का ट्वीट- ``महाराष्ट्र में पिछड़ी अघाड़ी सरकार, समर्थन वापस ले कांग्रेस``
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर रहे परमबीर सिंह की चिट्ठी सामने आने के बाद महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार घिरती दिख रही है. मुख्य विपक्षी दल भाजपा तो हमलावर है ही, एमवीए गवर्नमेंट को समर्थन दे रही कांग्रेस पार्टी के अपने नेता भी अब मुखर हो रहे हैं.
भोपाल: मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर रहे परमबीर सिंह की मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखी चिट्ठी ने महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल ला दिया है. एंटीलिया केस में फंसे मुंबई पुलिस के अफसर सचिन वाजे के चक्कर में परमबीर सिंह की भी कमिश्नर पद से छुट्टी हो गई थी. उसके दो दिन बाद परमबीर सिंह ने सीएम को चिट्ठी लिखकर महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाया कि उन्होंने सचिन वाजे को हर महीने 100 करोड़ रुपए वसूली का टारगेट दिया था.
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इस चिट्ठी के सामने आने के बाद महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार घिरती दिख रही है. मुख्य विपक्षी दल भाजपा तो हमलावर है ही, एमवीए गवर्नमेंट को समर्थन दे रही कांग्रेस पार्टी के अपने नेता भी अब मुखर हो रहे हैं. मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने अपनी पार्टी को इस मुद्दे पर स्टैंड लेने की सलाह दी है तो मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने महाविकास अघाड़ी सरकार से समर्थन वापस लेने की सलाह दी है. लक्ष्मण सिंह कांग्रेस महासचिव व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के भाई हैं.
लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट में लिखा है, ''अगर 100 करोड़ प्रति माह मुंबई पुलिस के माध्यम से महाराष्ट्र के गृह मंत्री वसूल रहे हैं, और अगर यह सत्य है, तो देशमुख 'देश' के 'मुख' नहीं हो सकते. लगता है 'अगाड़ी' सरकार 'पिछड़ती' जा रही है, कांग्रेस को समर्थन वापस लेना चाहिए.'' महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार (कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी गठबंधन) में अनिल देशमुख एनसीपी से मंत्री हैं. परमबीर सिंह की चिट्ठी के बाद गृह मंत्री अनिल देशमुख पर अपने पद से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ने लगा है.
शरद पवार को खुद जांच करनी चाहिए: जूलियो रिबेरो
इधर 92 साल के पूर्व आईपीएस अधिकारी जूलियो रिबेरो ने महाराष्ट्र में चल रहे '100 करोड़' के विवाद की जांच करने से इनकार कर दिया है. एनसीपी के मुखिया नेता शरद पवार ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों की जांच के लिए रिबेरो के नाम की सिफारिश की थी.
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रिबेरो ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा, ''मैं 92 साल का हूं. मुझमें इस तरह के मुश्किल केस की जांच के लिए क्षमता नहीं रह गई है. अगर मैं समर्थ होता फिर भी इनकार कर देता. यह एक बहुत ही अस्पष्ट केस है और मेरे जैसे लोगों के लिए नहीं है. खुद शरद पवार को जांच करनी चाहिए. वह सबकुछ जानते हैं, उन्हें एक्शन लेना चाहिए.''
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