शैलेंद्र सिंह/ ग्वालियर: बीते दिनों मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक पूर्व पुलिस वाला भिखारी की हालत में मिला था. नाम था मनीष मिश्रा. उन्हें उनके बैचमेट और वर्तमान में डीएसपी पोस्ट पर तैनात रत्नेश सिंह तोमर ने रेस्क्यू किया था. मनीष को ग्वालियर के स्वर्ग सदन आश्रम में रखा गया था, जहां उनका इलाज चल रहा है.  मनीष की हालत में लगातार सुधार हो रहा है और वह फिर से पुलिस सेवा में आना चाहते हैं.


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Exclusive: जो भिखारी निकला था डीएसपी का बैचमेट, सगे भाई सुना रहे हैं उनकी अनसुनी दास्तान


बुधवार को बातचीत के दौरान पूर्व सब इंस्पेक्टर मनीष मिश्रा ने कहा कि उनकी हालत अब पहले से बेहतर है. आश्रम के लोगों का भी उन्हें भरपूर सहयोग मिल रहा है. उनके कुछ बैचमेट्स और सीनियर भी उनसे मिलने आए थे. मनीष ने कहा कि अपने साथियों से बात करके मुझे बेहद खुशी हुई, उन्हीं लोगों की प्रेरणा से मैं चाहता हूं कि फिर से पुलिस सेवा में जाकर समाज के लिए कुछ करूं.


भिखारी के हालत में मिले थे पूर्व सब-इंस्पेक्टर
मामला 10 नवंबर का है. मध्य प्रदेश उपचुनाव की मतगणना की रात करीब 1ः30 बजे सुरक्षा व्यवस्था में तैनात डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और सीएसपी विजय सिंह भदौरिया को सड़क किनारे ठंड में ठिठुरता, कचरे के ढेर में खाना ढूंढता एक भिखारी दिखा था. एक अधिकारी ने अपने जूते और दूसरे ने अपनी जैकेट उस भिखारी को दे दी. भोजन भी कराया.


जब दोनों पुलिस अधिकारी वापस जाने लगे तो भिखारी ने डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर को उनके नाम से पुकारा. तोमर अचंभित हो गए और पलट कर जब गौर से भिखारी को देखा तो उनके होश उड़ गए. क्योंकि वह भिखारी कोई और नहीं उनका बैचमेट मनीष मिश्रा था. जो बीते 10 साल से सड़कों पर लावारिस हालत में घूम रहा था. डीएसपी रत्नेश ने मनीष को ग्वालियर के स्वर्ग सदन आश्रम में भर्ती कराया. जब इस बारे में दूसरे बैचमेट्स को पता चला तो सबने मिलकर मनीष के इलाज का प्रबंध किया.


जो भिखारी निकला था डीएसपी का बैचमेट, उसका चल रहा इलाज, मदद के लिए और साथी आए साथ


पत्नी से मतभेद और तलाक के बाद दिमागी हालत बिगड़ी
मनीष के बड़े भाई उमेश मिश्रा जो गुना जिले में बतौर थाना प्रभारी पदस्थ हैं, उन्होंने मनीष के जीवन से जुड़ी सारी बातें जी मीडिया के साथ साझा की थीं. उमेश मिश्रा ने बताया कि मनीष ने एक काबिल पुलिस सब.इंस्पेक्टर के रूप में शुरुआत की थी, जो शुरू से ही अपने काम को लेकर चर्चाओं में रहा. उसकी पूर्व पत्नी न्यायिक सेवा में पदस्थ है. दोनों के बीच मतभेद हुए. फिर नौबत तलाक तक आ गई. इसके बाद मनीष की मानसिक संतुलन बिगड़ गया. बतौर डीएसपी मनीष के भाई भी थानेदार हैं.  पिता और चाचा एसएसपी के पद से रिटायर हुए हैं. उनकी एक बहन दूतावास में अच्छे पद पर हैं.


पुलिस बैकग्राउंड वाला है मनीष मिश्रा का पूरा परिवार 
मनीष के बड़े भाई उमेश मिश्रा जो गुना जिले में बतौर थाना प्रभारी पदस्थ है. उन्होंने मनीष के जीवन से जुड़ी सारी बातें ज़ी मीडिया के साथ साझा की थी. उनके भाई ने बताया कि मनीष ने एक काबिल पुलिस सब-इंस्पेक्टर के रूप में शुरुआत की थी. जो शुरू से ही चर्चाओं में रहा है, लेकिन उसकी पत्नी जो कि न्यायिक सेवा में पदस्थ हैं, दोनों के बीच वैचारिक मतभेद, शादी के बाद तैयारी करते हुए न्याययिक सेवा में चयन होना और दोनों के बीच तलाक होना बताया जा रहा है.


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ट्रेनिंग के दौरान अचूक निशानेबाज हुआ करते थे मनीष
ग्वालियर के झांसी रोड इलाके में सालों से सड़कों पर लावारिस घूम रहे मनीष 1999 में पुलिस एकेडमी से पास आउट हुए. ट्रेनिंग के दिनों में वह एक अचूक निशानेबाज थे. रत्नेश सिंह तोमर और मनीष दोनों एक साथ 1999 में पुलिस सब इंस्पेक्टर बने. अब रत्नेश डीएसपी हैं. मनीष मिश्रा जब रत्नेश को मिले तो दोनों ने काफी देर तक ट्रेनिंग के दिनों की यादों को ताजा किया. वह मनीष को अपने साथ ले जाना चाहते थे, लेकिन मनीष जाने को राजी नहीं हुए. आखिर में उन्हें स्वर्ग सदन आश्रम भेजा गया, जहां उनकी बेहतर देखरेख हो रही है. उनकी मानसिक स्थिति भी अब काफी हद तक ठीक हो गई है.


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