भोपालः देश में विलुप्त हुए चीता को मध्यप्रदेश की सागर जिले स्थित नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में बसाने की कवायद फिर से शुरू हो गई है. इसके लिए मध्यप्रदेश वन विभाग ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) को पिछले महीने पत्र लिखा है. गौरतलब है कि यह केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. वर्ष 2010 में यह योजना मध्यप्रदेश को सौंपते हुए केंद्र सरकार ने नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में चीता को पुनर्स्थापित करने को कहा था. कुछ सालों तक इसे अमलीजामा पहनाने के लिए इस पर काम चला, लेकिन पिछले चार साल से यह ठंडे बस्ते में रख दिया गया था.


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योजना शुरू करने के लिए पैसों की जरूरत
मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक शाहबाज अहमद ने न्यूज एजेंसी भाषा को आज बताया, ‘‘हमने प्रदेश के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में चीता को बसाने के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) को पिछले महीने पत्र लिखा है और उनसे मांग की है कि इस पर बंद पड़ी प्रक्रिया जल्द चालू की जाए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस योजना पर उनका (एनटीसीए) रूख स्पष्ट करने के लिए कहा है. इस योजना को चालू करने के लिए हमें केन्द्र सरकार से पैसे की जरूरत है.


मध्यप्रदेश को 50 करोड़ रुपए देने का वादा 
वर्ष 2011 में इस योजना के लिए मध्यप्रदेश को 50 करोड़ रुपए देने का वादा किया था.’’ इसी बीच, सामाजिक कार्यकर्ता एवं वन्यजी संरक्षण के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठन प्रयत्न के संस्थापक सचिव अजय दुबे ने बताया कि तब नामीबिया चीता कंजर्वेशन फंड (एनसीसीएफ) ने इच्छा जाहिर की थी कि वह भारत को चीता दान में देगा. उन्होंने कहा कि भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून ने करीब छह साल पहले नौरादेही में चीता को फिर से बसाने के लिए 260 करोड़ रूपये से अधिक की योजना तैयार की थी.


बाड़ा बनाने के लिए 25 से 30 करोड़ रूपये की जरूरत
दुबे ने बताया कि योजना के अनुसार नौरादेही में चीतों के लिए 150 वर्ग किलोमीटर के दायरे में बाड़ा बनाने के लिए 25 से 30 करोड़ रूपये की जरूरत होगी. वर्ष 2009 में केंद्र ने मध्यप्रदेश सरकार से चीता के लिए अभयारण्य तैयार करने को कहा था और इसको बनाने की घोषणा की थी. (इनपुटः भाषा)