भोपालः 10 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर World Suicide Prevention Day मनाया जाता है. साल 2018 में आई WHO की रिपोर्ट ने चेतावनी दी थी कि भारत में खुदकुशी किस तरह महामारी का रूप लेती जा रही है. विश्व के शीर्ष 20 देश, जहां लोग हर पल अपनी जान देने को उतारू रहते हैं, उनमें भारत भी है. हर 40 सेकेंड पर एक शख्स कहीं न कहीं अपने हाथों से अपनी जिंदगी खत्म कर रहा है. देश में आत्महत्या के मामले में मध्य प्रदेश चौथे स्थान पर है. वहीं छत्तीसगढ़ नौवें नंबर पर है. यहां आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह पारिवारिक कलह है.


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आत्महत्या मामले में चौथे स्थान पर मध्य प्रदेश
NCRB की डाटा रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में राज्य के 12457 लोगों ने आत्महत्या की. तमिलनाडु में 13493 और पश्चिम बंगाल में 12665 आत्महत्या के मामले बाद राज्य चौथे स्थान पर है. ये आंकड़ा चौंकाने वाला है क्योंकि आत्महत्या के मामले में पिछले वर्ष 2018 में  मध्य प्रदेश 14वें स्थान पर था. 2020 की रिपोर्ट प्रदेश चौथे स्थान पर आ चुका है. मध्य प्रदेश में  60 फीसदी पुरुषों ने तो वहीं 40 फीसदी महिलाओं ने मौत को गले लगाया. राज्य के 399 मजदूरों और 142 किसानों ने आत्महत्या की है.


आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ देश में 9वें नंबर पर, 2018 के मुकाबले 2019 में 8.3% की बढ़ोतरी


छत्तीसगढ़ आत्महत्या के मामले में 9वें स्थान पर
छत्तीसगढ़ राज्य में पिछले वर्ष 2019 में आत्महत्या के कुल 7629 मामले दर्ज किए. जिनमें 1679 दिहाड़ी मजदूर और 854 गृहिणियों ने आत्महत्या की. तो वहीं 503 विद्यार्थियों, 499 किसानों और 329 बेरोजगारों ने भी आत्महत्या की. गृहिणियों की आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य देश में दूसरे स्थान पर है.


पारिवारिक कलह सबसे बड़ी वजह
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह पारिवारिक असंतुष्टि है. मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की अन्य बड़ी वजह बीमारी, बेरोजगारी, परीक्षा में असफलता और कर्ज लेना रहा. 


ये हैं आत्महत्या के प्रमुख कारण
पारिवारिक 26 फीसदी
बीमारी 19 फीसदी
वैवाहिक 11 फीसदी
बेरोजगारी 6 फीसदी
नशे की लत 5 फीसदी
अन्य कारण 24 फीसदी


किस प्रोफेशन में कितनी आत्महत्या
गृहणियां 26 प्रतिशत
दिहाड़ी मजदूर 19 फीसदी
कृषि क्षेत्र 13 फीसदी
बेरोजगार 12 फीसदी
नौकरीपेशा 6 फीसदी
अन्य 13 फीसदी


पारिवारिक कलह और बीमारी ले रही है जान
NCRB के ताजा आंकड़ों के मुताबिक करीब 32.4 फीसद मामलों में लोगों ने पारिवारिक समस्याओं के चलते अपनी जिंदगी खत्म की तो 17.1 फीसद लोगों ने बीमारी से परेशान होकर ये खौफनाक फैसला लिया. वहीं  5.5 प्रतिशत लोगों ने वैवाहिक समस्याओं के चलते ऐसा कदम उठाया और 4.5 फीसद लोगों ने प्रेम संबंधों को लेकर जान दे दी. करीब दो फीसद लोगों की आत्‍महत्‍या करने की वजह बेरोजगारी और एग्‍जाम में फेल होना रही. 5.6 फीसद लोगों ने ड्रग एडिक्‍शन के चंगुल में फंसकर अपनी जान गंवाई.


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भारत में हालात और बिगड़े
आत्महत्या के मामलों को लेकर देश के हालातों पर नजर डालें तो, एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक,  भारत में 2019 में कुल 1,39,123 लोगों ने आत्‍महत्‍या की. यानि देश में हर रोज करीब 381 लोगों ने अपने हाथ से अपनी जिंदगी खत्म कर ली. ताजा आंकड़े वर्ष 2018 की तुलना में करीब 3.4 फीसद ज्‍यादा हैं. सीधा मतलब ये है कि आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2019 में शहरों में आत्महत्या की दर 13.9 फीसद रही है जो पूरे भारत में आत्महत्या की दर 10.4 फीसद से अधिक थी. सोचिए, बेहतरी की रेस में हम अपनी मानसिक शांति और दिखावे के चक्कर में अपने अपने रिश्ते खोते जा रहे हैं.


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