खरगोन: मज़दूरी करके अपने परिवार का पेट पालने वाले एक मजबूर पिता को अपने 10 साल के बेटे का शव शॉल में लपेटकर 1 किमी पैदल चलना पड़ा।


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वजह एक बार फिर वही सरकारी की बद इन्तेज़ामी थी जहां डेड बॉडी ले जाने के लिए कोई एम्बुलेंस नहीं मिली।


बाद में स्थानीय लोगों ने चंदा इक्टठा कर मजबूर पिता की मदद की तब जाकर पिता अपने बेटे के शव को लेकर 30 किमी दूर अपने गांव शव ले जा सका।


शव के पोस्टमार्टम के बाद घरवालों की परेशानी को देखते हुए आदिवासी नेता केदार डाबर ने घटना को दुःखद बताते हुए सूबे के सीएम शिवराज सिंह चौहान से गरीब, बेबस और लाचार लोगों की मदद करने की गुहार लगाई है।


साथ ही आदिवासियों के लिए शव घर तक ले जाने की योजना शुरू करने की बात कही। इस संबंध में ज़िला स्वास्थ्य एंव चिकित्सा अधिकारी से बात की। 


दरअसल, खरगोन के आदिवासी इलाके से गांव पुलिस चौकी के छिपीपुरा गांव में सुखलाल आदिवासी के 10 साल के बेटे महेश की करंट से मौत हो गई थी।


सुखलाल के पास अपने बेटे का शव गांव छिपीपुरा ले जाने के लिए रुपए नहीं थे, लिहाज़ा परेशान होकर सुखलाल पैदल ही बेटे के शव को लेकर निकल पड़ा।


गौरतलब है कि ये पहला मामला नहीं है, एमपी से आए दिन ऐसी ही ख़बरें सामने आती हैं, इसके बाद भी प्रशासन कोई संवेदना नहीं दिखाता है।