Guna Lok Sabha Election Voting: मध्य प्रदेश की हॉट सीटों में शामिल गुना लोकसभा में चुनावी प्रचार का शोर 5 मई की शाम को थम गया. यहां अब 7 मई को वोटिंग होगी. मैदान में भाजपा की तरफ से शाही परिवार के ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं और कांग्रेस की तरफ से राव यादवेंद्र सिंह यादव. मुकाबला दिलचस्प इसलिए है क्योंकि सिंधिया 2019 में चुनाव हार गए थे. हालांकि, उस वक्त वे कांग्रेस के लिए लड़े थे और सामने कांग्रेस से ही बागी हुए केपी यादव थे. इस बार कहानी अलग है. अब सिंधिया भाजपा के हैं. देखना होगा कि क्या सिंधिया इस बार अपना हारा हुआ 'किला' फिर से जीत पाएंगे?


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गुना लोकसभा सीट लंबे समय तक सिंधिया परिवार के पास रही. पहले राजमाता विजयाराजे, फिर माधवराव सिंधिया और उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यहां लगातार जीत दर्ज की है. ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 से लेकर 2019 तक यहां से सांसद रहे, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में हार गए. इस बार फिर से वे गुना सीट से चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर चुनावी की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सिंधिया, उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे और बेटा महाआर्यमन सिंधिया गांव-गांव में प्रचार कर रहे थे.


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6वीं बार चुनावी मैदान में सिंधिया
पिता माधवराव सिंधिया के आकस्मिक निधन के बाद राजनीति में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साल 2002 में पहली बार गुना लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी. उस समय वे कांग्रेस के टिकट से लड़ रहे थे. अगले 3 चुनाव 2004, 2009 और 2014 में जीत का सिलसिला चलता रहा. इस दौरान सिंधिया UPA सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बने. हालांकि, 2019 में सिंधिया की लाइफ में बड़ा टर्निंग पॉइंट आया, जब वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए केपी यादव से चुनाव हार गए. उसके बाद कांग्रेस में फूट के चलते वे भाजपा में शामिल हो गए. इस बार वे भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं.


कांग्रेस के राव से टक्कर
सिंधिया के सामने कांग्रेस के टिकट पर राव यादवेंद्र सिंह यादव हैं. यादव पुराने भाजपाई हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले वे भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. यादवेंद्र सिंह के स्वर्गीय पिता देशराज सिंह यादव भाजपा के विधायक रह चुके हैं. दिलचस्प बात यह है कि देशराज सिंह यादव भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. अशोकनगर में यादव के परिवार का अच्छा प्रभाव माना जाता है. परिवार के 6 लोग राजनीति में सक्रिय हैं. यादवेंद्र सिंह खुद जिला पंचायत सदस्य हैं, जबकि उनकी पत्नी जनपद सदस्य, भाई जिला पंचायत सदस्य और मां भी जनपद सदस्य हैं.