इंदौर: हनी ट्रैप मामले में सीबीआई जांच कराने को लेकर लगाई गई याचिकाओं पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने एसआईटी की जांच पर संतुष्टि जताई है साथ ही कहा कि इस मामले में सीबीआई जांच की जरुरत नहीं है. 


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हनी ट्रैप मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के समक्ष ऐसा कोई तथ्य नहीं रखा जिसके आधार पर कहा जा सके कि इस मामले में जांच सही तरीके से नहीं हुई है. एसआइटी ने कोर्ट की निगरानी में जांच की है और समय-समय पर प्रोग्रेस रिपोर्ट भी पेश की है. ऐसी स्थिति में ऐसा कोई तथ्य कोर्ट के समक्ष नहीं है जिसे आधार बनाकर जांच सीबीआइ को सौंपी जाए. 


हनी ट्रैप मामले में सात अलग-अलग याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर कर जांच एसआइटी के हाथ से लेकर सीबीआइ को सौंपने की मांग की गई थी. 18 अगस्त को कोर्ट ने पूरे मामले में सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसे शनिवार दोपहर जारी किया गया. 27 पेज के फैसले में कोर्ट ने सभी याचिकाओं का निराकरण करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि जांच सीबीआइ को नहीं सौंपी जाएगी.


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क्या है मामला
आपको बता दें कि हनीट्रैप मामले में नगर निगम इंजीनियर हरभजन सिंह ने 17 सितंबर को 2019 को थाने में केस दर्ज कराया था. इसमें आरती दयाल और मोनिका पर अश्लील वीडियो बनाकर दो करोड़ रुपए मांगने का आरोप लगाया गया था. इसी मामले में बाद में भोपाल से तीन अन्य श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल और बरखा सोनी को गिरफ्तार किया गया था. ये महिला आरोपी और उनका ड्राइवर जेल में है. 


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