High Court Guideline for School Buses: मध्य प्रदेश में स्कूल बसों के हादसों को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बैंच ने बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गाइडलाइन जारी की है. होईकोर्ट की तरफ से सरकार को निर्देश दिया गया है कि एमपी मोटर व्हीकल एक्ट-1994 में स्कूल बस रजिस्ट्रेशन, संचालन व प्रबंधन के लिए नियमों का प्रावधान किया जाए. आइए जानते हैं क्या है गाइडलाइन...


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जानिए निर्देश
स्कूली बसों को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि अब प्रदेश के सभी स्कूलों में 12 साल पुरानी बसें नहीं चलाई जाएगी. बसों में स्पीड गवर्नर, जीपीएस और सीसीटीवी कैमरे के जरुरी है. ताकि ऐप के जरिए बस को ट्रैक किया जा सके. इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया है कि बस में एक स्कूल की तरफ से एक शिक्षक को रखा जाए, जो बस के आखिरी स्टॉप तक बस में रहे. वहीं, अगर स्कूल की तरफ से ऑटो रिक्शा से छात्रों को ले जाए जाता है तो इस ड्राइवर सहित ऑटो रिक्शा में चार लोग ही बैठ सकेंगे. कोर्ट ने कहा है कि आरटीओ, डीएसपी-सीएसपी ट्रैफिक इन गाइडलाइन का सख्ती से पालन करवाएं. 


जानिए क्या है मामला
बता दें कि 5 जनवरी 2018 को दिल्ली पब्लिक स्कूल निपानिया की बस बायपास पर दुर्घटना ग्रस्त हुई थी. इस हादसे में चार छात्रों व ड्राइवर की मौत हुई थी. इस मामले पर  शहरवासियों और अभिभावकों ने सुरक्षा मापदंडों को लेकर हाईकोर्ट में अधिवक्ता मनीष यादव के माध्यम से याचिकाएं लगाई थीं. इसी मामले पर सुनवाई के दौरान  जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की डिविजन बेंच ने यह फैसला सुनाया है. जिसमें स्कूली बसों और ऑटो को लेकर गाइडलाइन जारी किया गया है. 


जानिए पूरी गाइडलाइन
सरकारी स्कूल में प्राचार्य, निजी स्कूल में मालिक, प्रबंधन स्कूल के किसी सीनियर शिक्षक या कर्मचारी को बस का इंजार्च नियुक्त करेंगे. जो नियमों का पालन करवाएंगे. वहीं, बस में एक शिक्षक को रखा जाएगा, यह शिक्षक महिला या पुरुष कोई भी हो सकता है. जो बस के आखिरी स्टॉप तक बस में ही रहेगा. इस दौरान हादसा या उल्लंघन होने पर प्रबंधन के साथ वे भी जिम्मेदार होंगे.


ये भी आदेश 
बस की खिड़की पर ग्रिल हो, साथ ही फर्स्ट एड किट व अग्निशमन यंत्र जरूरी है.
स्कूल प्रबंधन ड्राइवर व कंडक्टर का मेडिकल चेकअप कराएं और आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखें.
बस का रंग पीला रहेगा। बस पर स्कूल बस या ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा जाए.
अनुबंधित बसों के पास मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार फिटनेस प्रमाण पत्र होना चाहिए. बसों में बीमा, परमिट, पीयूसी व टैक्स रसीद रखी जाए.
स्कूल का नाम, पता, टेलिफोन व व्हीकल इंचार्ज का मोबाइल नंबर की पट्टी लगाएं.
खिड़की में ग्रिल लगी होनी चाहिए. फिल्म व रंगीन ग्लास का उपयोग नहीं करें.
बसों में फर्स्ट एड किट और अग्निशमन यंत्र अनिवार्य रूप से लगे हों. बस सहायक को स्कूल प्रबंधन की तरफ से इमर्जेंसी उपयोग व बच्चों को बैठाने-उतारने का प्रशिक्षण दिया जाए.
ड्राइवर के पास स्थाई लाइसेंस व 5 साल का अनुभव हो.  ऐसे ड्राइवर नियुक्त न करें जिनका ओवर स्पीडिंग, नशा करके चलाने जैसे नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना या चालान किया गया हो.


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