उमरिया: जिले के  मानपुर से दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है. यह तस्वीर बताती है कैसे हमारा सिस्टम संक्रमित हो चुका है. पैसे के आगे सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों की संवेदनाएं मर चुकी हैं. शहरों के मुकाबिल गांवों में स्थिति भयंकर खराब है. एक व्यक्ति जब जिंदा था तो उसे इलाज नहीं मिला और जब मर गया तो उसकी लाश घर तक पहुंचाने के लिए प्रशासन जहमत नहीं उठाई. मजबूरन उसके परिजन उसकी लाश को बाइक पर बांधकर ले गए. इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.


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दरअसल, पतौर निवासी 35 वर्षीय युवक सहजन कोल को पेट में दर्द के बाद मंगलवार को मानपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया. दर्ज ज्यादा बढ़ा तो डॉक्टरों ने उसे उमरिया जिला अस्पताल रेफर कर दिया, लेकिन वहां ले जा पाते, इससे पहले ही सहजन की जान चली गई. परिजनों ने शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस की मांग की तो डॉक्टर ने कहा कि यहां शव वाहन नहीं है. शव खुद ही ले जाना होगा. लॉकडाउन की वजह से कोई साधन नहीं मिला तो परिजनों ने बाइक पर ही शव को जिंदा व्यक्ति की तरह बैठा लिया. गिरने से बचाने के लिए रस्सी से बांध दिया.


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क्या बोले जिम्मेदार अधिकारी
शव को गांव तक न भेजवाने के सवाल पर सीएमएचओ आरके मेहरा ने बताया कि मानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शव वाहन नहीं है. सहजन कोल को पांच दिन से बुखार आ रहा था. जिससे उसकी मौत हो गई. 


सिंगरौली की तस्वीर अभी धुंधली भी नहीं हुई थी
आपको बता दें अभी कुछ दिन पहले सिंगरौली से भी ऐसी ही तस्वीर सामने आई थी. जहां एक लाचार बाप अपनी बेटी के शव को खाट पर रखकर 25 किलोमीटर दूर पोस्टमार्टम कराने के लिए ले गया था. क्योंकि पुलिस ने उसे ऐसा करने को कहा था. 


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