MP के इस गांव में कांटों की शय्या पर सोते हैं लोग, खुद को बताते हैं पांडवों का वंशज
MP Historical Story: महाभारत काल से जुड़ी हुई कई कहानियां प्रसिद्ध है. कृष्ण से लेकर अर्जुन, दुर्योधन सहित कई दिलचस्प कहानियां है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं एमपी के उस गांव की कहानी के बारे में जहां पर लोग खुद को पांडवों का वंशज मानते हैं और कांटो की सेज पर सोते हैं. ये आपको सुनने में अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये सत्य है. आइए जानते हैं कि लोग ऐसा क्यों करते हैं.
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक अजीबो- गरीब परंपरा देखने को मिलती है. बता दें कि यहां पर लोग कांटो की सेज पर सोते हैं, रज्झड़ समुदाय के लोग इस परंपरा का निर्वहन पिछले कई सालों से कर रहे हैं.
यहां पर लोग बेर के कांटों की सूखी टहनियों पर सोते हैं, ये लोग बैतूल जिले के सेहरा गांव के रहने वाले हैं, ये लोग खुद को पांडवों का वंशज बताते हैं.
मिली जानकारी के अनुसार पता चलता है कि एक बार पांडव जंगल में घूमते हुए भूख-प्यास से व्याकुल थे. इसी दौरान पानी देने के लिए शादी की शर्त रखी गई थी.
पांडवों ने नाहल की शर्त मान ली और बेमन से अपनी एक मुंहबोली बहन भोंडई का विवाह नाहल के साथ तय कर दिया, लेकिन नाहल ने पांडवों को अपना वचन साबित करने की चुनौती भी दी थी.
इस पर पांडव कांटों की सेज बनाकर उस पर लेट गए और खुद को साबित किया. रज्झड़ समुदाय भी खुद को पांडवों का वंशज मानते हैं. इसलिए ये लोग हर साल पांडवों की तरह कांटों की सेज पर लोटपोट होते हैं.
कई सालों से इस परपंरा का निर्वहन किया जा रहा है. इस आयोजन के पांचवे दिन रज्झड़ अपनी बहन भोड़ई को विदाई देते हैं. गांव के बच्चे, युवा और बुजुर्ग अपने इष्ट देवों का पूजन करके नृत्य करते हैं.
इसके बाद पहले से काटकर रखी गई बेर के पेड़ की कांटों भरी झाड़ियां लेकर आते हैं और उसका एक बिस्तर बनाया जाता है. खुद को कष्ट देने के लिए ये लोग खुशी- खुशी लेटते हैं.