Vivah Panchami 2024 Puja Vidhi Upay: आज मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है. आज के दिन ही अयोध्या के राजा भगवान राम का विवाह जनकपुत्री सीता माता से हुआ था. रामराजा नगरी अयोध्या ओरछा से लेकर पूरे देश में भगवान राम-सीता के विवाहोत्सव की धूम देखने को मिल रही है. आज के दिन सनातन धर्म को मानने वाले लोग अपने-अपने घरों में भगवान राम-सीता की विधि विधान से पूजा करते हैं और उनका विवाह कराते हैं. यदि आपने भी आज यानी  विवाह पंचमी के दिन पूजा की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको लेख में विवाह पंचमी से जुड़ी सभी जानकारी मिल जाएगी. आइए जानते हैं विवाह पंचमी पर कैसे कराएं भगवान राम और सीता का विवाह और क्या है सही पूजा विधि...


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विवाह पंचमी पूजा विधि 
सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूजा स्थल को साफ करें. फिर राम दरबार की फोटो स्थापित करें. इसके बाद पूजा स्थल को फूलों, दीपों और रंगोली से सजाकर विवाह मंडप का प्रतीक बनाएं. इसके बाद भगवान राम और माता सीता की पंचोपचार विधि से पूजा करते हुए चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप और दीपक अर्पित करें.  भगवान राम और माता सीता को फल, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाएं.


ऐसे कराएं राम-सीता का विवाह
इसके बाद सबसे पहले सिया-राम विवाह के कार्यक्रम का संकल्प लें. भगवान राम को पीले और माता सीता को लाल वस्त्र अर्पित करें. इसके बाद या "ऊं जानकीवल्लभाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें. फिर रामायण के बालकाण्ड में विवाह प्रसंग का पाठ करें. इस दौरान भगवान राम और माता सीता को अर्पित किए वस्त्र में गांठ बांधे. फिर उन्हें पुष्पों की माला अर्पित करें. इसके बाद आखिरी में  उनकी आरती करें. ऐसी मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन इस उपाय को करने से वैवाहिक जीवन से जुड़ी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. आज पूरे दिन "सीता राम चरित सुनि, पावन, कलुष विचार नाथ हरन" जैसे मंत्रों का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है. 


विवाह पंचमी पर करें इन विशेष मंत्रों का जाप
आज पूरे दिन रामचरित मानस के चौपाईयों का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है. हम आपको रामचरित मानस के कुछ ऐसे विशेष चौपाई बता रहे हैं, जिसके जाप से जातक के शीघ्र विवाह या सुखी वैवाहिक जीवन जुड़े सभी दुःख कष्ट दूर हो सकते हैं. इन मंत्रों का जाप आप तुलसी की माला से कम से कम 108 बार करें...


1. प्रमुदित मुनिन्ह भावँरीं फेरीं। नेगसहित सब रीति निवेरीं॥ राम सीय सिर सेंदुर देहीं। सोभा कहि न जाति बिधि केहीं॥
2. पानिग्रहन जब कीन्ह महेसा। हियँ हरषे तब सकल सुरेसा॥ बेदमन्त्र मुनिबर उच्चरहीं। जय जय जय संकर सुर करहीं॥ 
3- सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥ नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले धार्मिक क्षेत्र के जानकार की सलाह जरूर लें. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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