Vikram Samvat: पूरी दुनिया में नया साल का पहला दिन एक ही दिन यानी 1 जनवरी को मनाया जाता है. पूरा विश्व जिस कैलेंडर का इस्तेमाल करता है वो ग्रिगोरियन कैलेंडर है. पर हिन्दू धर्म में हम किसी भी शुभ दिन को मनाने के लिए विक्रम संवत का प्रयोग करते है. हिंदू नव वर्ष का पंचांग ही देश में छुट्टियों या शुभ दिन तय करता है. अब इस संबंध में ये जानना बहुत जरूरी है कि विक्रम संवत क्या है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हिंदुओं के नव वर्ष की शुरुआत जिस दिन की जाती है, उसे ही विक्रम संवत कहते है. इसके अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हिन्दूओं के नववर्ष के पहले दिन की शुरुआत होती है. इस संवत की शुरुआत राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने की थी और ये ग्रिगोरियन कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है. इसे गणित के हिसाब से सटीक काल गणना माना जाता है और सभी ज्योतिषी भी इसे ही मानते हैं. इसकी समय अवधि 354 दिन की होती है और बचे हुए जो 10 दिन है उसको अधिक मास या चंद्रमास के रूप में माना जाता है. इसे चंद्रकाल के प्रथम दिन से शुरू माना जाता है. ऐसा कहा जाता था कि राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य विक्रम संवत के पहले दिन अपनी प्रजा का सारा कर्ज माफ कर देते थे जो उनकी प्रजा नही दे पाती थी. उनके शासन काल को चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने गोल्डेन एरा के तौर पर वर्णित किया है.


राजा विक्रमादित्य
राजा विक्रमादित्य अपने ज्ञान, वीरता और उदारता के लिए जाने जाते थे, उन्होंने अपनी जीत के साथ ही हिंदू विक्रम संवत की शुरुआत की थी. इसीलिए उनके नाम पर ही इस संवत का विक्रम संवत पड़ा.  माना जाता है कि सप्ताह के जिस भी दिन से नव संवत्सर की शुरुआत होती है, वह ग्रह वर्ष का राजा कहलाता है. ऐसे में इस वर्ष के राजा शनिदेव हैं. राजा विक्रमादित्य ने Vikram Samvat की शुरुआत की थी.  उनके समय में सबसे बड़े खगोल शास्त्री वराहमिहिर थे, जिनकी सहायता से इस संवत के प्रसार में मदद मिली. 


इस संवत की शुरुआत गुजरात में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से और उत्तरी भारत में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है. 12 महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ.  महीने का हिसाब सूर्य और चन्द्रमा की गति पर रखा जाता है. 


ये भी पढ़ें: Purnima 2024: इस साल कब-कब पड़ रही हैं पूर्णिमा, तुरंत सेव कर लें डेट और उपाय