भोपाल: कमलनाथ सरकार प्रदेश में रहने वाले लोगों एक बड़ी सौगात देने की तैयारी कर रही है. यह सौगात प्रदेश में रहने वाले लोगों को तमाम दस्तावेजों की झंझट से मुक्ति दिलाने की अभी तक की सबसे बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है. यदि कमलनाथ सरकार के मसौदे पर मोहर लगी तो अब प्रदेश में किसी परेशानी का एक ही हल होगा, वो है 'वन स्टेट वन आइडेंटिटी' का फार्मूला..अलग अलग दस्तावेजों के चलते सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने वाले लोगों को सिर्फ एक ही कार्ड अपनी जेब में रखना होगा.


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इसमें प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को पहचान नंबर मिलेगा, कार्ड में धारक का नाम, फोन नंबर, पता और फोटो के साथ क्यूआर कोड भी होगा. कार्ड नंबर पर क्लिक करते संबंधित व्यक्ति का पूरा बायोडाटा खुल जाएगा, यानी सरकार योजनाओं के लिए पात्रता को से कितनी योजना में लाभ मिल रहा है, इतना ही नहीं मूलनिवासी जानकारी मिल जाएगी, सरकार के नाम पर विचार कर रही है. सरकार का मानना है कि नागरिक को सरकारी दफ्तरों स्कूल कॉलेजों और अन्य जगहों पर पहचान सहित विभिन्न जरूरतों के लिए अलग-अलग कार्ड रखना होता है.



किसानों को खेती ऋण पुस्तिका से लेकर खसरा खतौनी योजनाओं का लाभ मिलता है. इसके बाद सारे दस्तावेज से मुक्ति मिल जाएगी. इस योजना का प्रारूप तैयार है संभावना है कि इसे जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा यही नहीं इसमें आधार कार्ड से लेकर सारे पहचान पत्र समाहित होंगे मध्य प्रदेश के विधि विधाई मंत्री पीसी शर्मा की माने तो जल्द ही इस प्रस्ताव को राज्य सरकार कैबिनेट में लाने वाली है प्रस्ताव पर पूरी तरह से काम हो चुका है, हमारा मकसद आम लोगों को दस्तावेजों की झंझट और डिलीवरी सिस्टम को स्ट्रांग करना है.


वही बीजेपी ने सरकार की इस मंशा पर सवाल उठाए हैं और कार्ड को सिर्फ फोटो खिंचवाने और छपवाने का एक जरिया बताया है पूर्व मंत्री विश्वास सारंग की मानें तो सरकार हमारी तमाम जनउपयोगी  योजनाओं को बंद करके उन्हें कार्डों में ही सस्ती लोकप्रियता के लिए उलझा रखना चाहती है.


उनकी माने तो सरकार के पास कई योजनाओं के लिए फंड नहीं है ऐसे में एक कार्ड कितना कारगर साबित होगा यह तो सरकार में बैठे अधिकारी बेहतर जानते हैं.