दुर्गेश सिंह बिसेन/रायपुरः छत्तीसगढ़ सरकार की कर्ज माफी योजना कागजों पर दिखाई दे रही है. 6 माह बीतने के बाद भी राष्ट्रीयकृत बैंक तो छोड़िए सहकारी समितियों में पंजीकृत किसानों के लिए कर्ज की माफी तक नहीं हो सकी है. सहकारी समितियां अब तक किसानों को ऋण मुक्ति प्रमाण पत्र नहीं दे पाई है. सिर्फ पेंड्रारोड रोड अनुविभाग में आने वाले हजारों किसानों से सहकारी बैंकों को 10 करोड़ से अधिक रकम वसूली के लिए बाकी पर अब तक शासन ने रकम प्राप्त नहीं होने के कारण किसानों का ऋण माफ नही हो सका है, फिर भी छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार कर्ज माफी बात कहकर अभी भी अपना गाल बजा रही है और किसान खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है.


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छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों के द्वारा लिए गए समस्त अल्पकालीन कृषि ऋण माफ कराने का वादा किया था, जिसमें सहकारी बैंकों और सहकारी समितियों के साथ समस्त राष्ट्रीय कृत बैंक भी शामिल थे. हालांकि, अब भी सरकार कृषि ऋण माफ करने की बात कह रही है. पर जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है. बड़े राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिए गए केसीसी और कृषि ऋण माफ होना तो अभी दूर की कौड़ी ही नजर आ रहा है पर जिला सहकारी बैंकों और आदिम जाति सेवा सहकारी और सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों द्वारा लिए गए अल्पकालीन कृषि ऋण भी पूरी तरह माफ नहीं हो सके हैं.


अघोषित बिजली कटौती से भी परेशान जनता
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के वक्त लोकलुभावन घोषणा पत्र तैयार किया था, जिसमें बिजली बिल हाफ, ऋण माफ और कई लोकलुभावन वायदे किए गए थे. जनता ने भी कांग्रेस घोषणा पत्र पर विश्वास करते हुए उन्हें बम्पर सीटें दिलाई, पर सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ कि कांग्रेस सरकार अब तक सहकारी बैंकों और समितियों से लिए गए अल्पकालीन कृषि ऋण ही पूर्णता माफ नहीं कर सकी है. सरकार को अभी कालातीत और डिफाल्टर किसानों द्वारा लिए गए अल्पकालीन कृषि ऋण की एक बड़ी राशि बैंकों को देनी है, जो अब तक नहीं मिल सकी है.


अभी तक जारी नहीं हुए ऋण मुक्ति प्रमाण पत्र
ऐसे में इसकी वजह से किसानों को ऋण मुक्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जा सके हैं. अगर पेंड्रा अनुविभाग की बात करें तो पेंड्रा, गौरेला और मरवाही की 11 सहकारी समितियों के हजारों किसानों की कर्ज माफी होना शेष है. जिनमें मरवाही की 4 सहकारी समितियों के 1770 किसानों के कुल 5,96,47,000 रुपये, पेण्ड्रा सहकारी समिति के 207 किसानों के 50लाख79 हजार रुपए जबकि गौरेला के 654 किसानों के 2,37,00,000 रुपये शासन से पाना बाकी है. वहीं यह आंकड़ा बिलासपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अंतर्गत आने वाले 4 जिले मुंगेली, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और कोरबा में 48000 किसानों के 246.91 करोड रुपए है, जिसे शासन से पाना बाकी है, जबकि बैंक को 143960 सनहाल किसानों के 436 करोड रुपए ऋण माफी के रूप में शासन से मिल चुके हैं.


2500 रुपये धान का समर्थन मूल्य, किसानों की ऋण माफी, बिजली बिल हाफ, सभी के लिए पीडीएस का चावल यह ऐसी घोषणाएं थी जिसने 15 वर्षों का वनवास झेल रही कांग्रेस को बंपर जीत दिला दी. अब घोषणाओं को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार कई बार कर्ज ले चुकी है, पर अब तक सहकारी समितियों के किसानों का ही कर्जा पूर्ण रूप से माफ नहीं हो सका है. ऐसे में यह घोषणा सरकार के गले की फांस बन चुकी है.