MP Lok Sabha Elections 2024: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी अपनी जीत को साथ लेकर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है, तो कांग्रेस भी हार के सबक लेकर लोकसभा चुनाव में नई तैयारियों के साथ जुटी है. गौरतलब है कि प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें आती हैं, 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने एकतरफा 28 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस ने 1 सीट जीती थी. अब बीजेपी का लक्ष्य पूरी 29 सीटों पर हैं, तो वहीं कांग्रेस भी अपने प्रदर्शन को सुधारने के प्रयास में लगी है. बात अगर प्रदेश की खरगोन लोकसभा सीट की करें जाए तो यह सीट बीजेपी और कांग्रेस के लिए बेहद अहम मानी जाती है. 


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ST आरक्षित सीट खरगोन लोकसभा सीट मध्यप्रदेश की उन महत्वपूर्ण सीटों में से एक हैं, जो आज भी विकास की राह देख रही है. इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला रहा है लेकिन ज्यादा बाजी बीजेपी ने ही मारी है. 1962  में अस्तित्व में आई खरगोन सीट मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है, जो प्राकृतिक रूप से संपन्न और भरापूरा है. 



खरगोन लोकसभा सीट का सीधा गणित
खरगोन लोकसभा सीट का सीधा गणित इस लोकसभा अंतर्गत खरगोन व बड़वानी जिले की आठ विधानसभाएं शामिल हैं. बड़वानी जिले की बड़वानी, राजपुर, पानसेमल व सेंधवा, जबकि खरगोन जिले की खरगोन, भगवानपुरा, महेश्वर व कसरावद शामिल है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2023 में इन 8 विधानसभा सीटों में से 3 पर बीजेपी और 5 पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया है. इस तरह सीटों के समीकरण के हिसाब से ऊपरी तौर पर इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा नजर आ रहा है.


खरगोन लोक सभा सीट कुल मतदाता
2019 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से खरगोन लोकसभा सीट पर कुल 18 लाख 21 हजार 019 मतदाता है. जिसमें पुरुष 9,23,185 मतदाता और 8,97,815 महिला मतदाता है. 2019 लोकसभा चुनाव में खरगोन की सीट बीजेपी के खाते में गई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर गजेंद्र सिंह ने करीब 2 लाख 57 हजार 879 मतों से यहां जीत दर्ज की थी.  उन्होंने कांग्रेस गोविंद मुजाल्दा को हराया था. गजेंद्र पटेल को 772221 और कांग्रेस के गोविंद मुजाल्दा को 570106 वोट मिले थे.



खरगोन जातीय समीकरण
खरगोन लोकसभा के जातीय समीकरण की अगर बात की जाए ता यहां पर अनुसूचित जाति और जनजाति का खासा दबदबा है. 2019 लोकसभा के मुताबिक यहां लगभग 53.56 फीसदी आबदी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है और 9.02 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है. 


खरगोन का राजनीतिक इतिहास
खरगोन संसदीय क्षेत्र में पहली बार 1962 में आम चुनाव हुए थे. जिसमें भारतीय जनसंघ ने जीत हासिल की. इसके बाद 1967 में हुए चुनाव में यहां कांग्रेस ने तो 1971 में फिर भारतीय जनसंघ ने जीत दर्ज कराई. वहीं 1980 और 1984 में यहां कांग्रेस का ही बोलबाला रहा, जिसके बाद 1989 में इस खरगोन में भाजपा प्रत्याशी रामेश्वर पाटीदार ने बड़ी जीत दर्ज कराई. रामेश्वर पाटीदार लगातार 1998 तक इस सीट से सांसद चुने गए, लेकिन 1999 के चुनाव में कांग्रेस के ताराचंद पटेल ने बाजी मारी. 1999 के बाद फिर 2004 में इस सीट पर भाजपा, 2007 में कांग्रेस, 2009 और 2014 में भाजपा ने इस सीट को अपने नाम किया.


बता दें कि 2007 में उपचुनाव में पूर्व उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव के बड़े बेटे अरुण यादव ने कांग्रेस से राजनीतिक जिंदगी की शुरुआत की थी. यादव ने  कृष्णमुरारी मोघे को एक लाख से अधिक मतों से पराजित किया था. लेकिन 2009 में यह सीट परिसीमन में आकर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई.



अब तक 16 आम चुनाव हो चुके हैं
अब तक इस सीट पर 16 आम चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से पांच बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है, जबकि 8 बार बीजेपी को जीत मिली है, इसके अलावा 2 चुनाव भारतीय जनसंघ और 1 बार लोकदल ने जीता है. 


रेल की पटरी तय करती है नतीजा
अब लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर यहां रेल मुद्दा खड़ा होने लगा है. इस मुद्दे पर यहां कई बार चुनाव हुए हैं. 60 के दशक से 2019 तक कहीं न कहीं रेल के मुद्दे और आश्वासनों की पटरियां बिछाई गई. चुनाव जीतने के लिए खेतों में पटरियां तक पटकवा दी, लेकिन काम अभी तक शुरू नहीं हुआ. हाल ही में इंदौर मनमाड़ रेलवे लाइन से बड़वानी के कनेक्ट होने की बातें चल रही थी. लेकिन अब खंडवा, धार वाया खरगोन-बड़वानी रेलवे लाइन के सर्वे को लेकर सांसद गजेंद्र पटेल ने कहा है कि रेल मंत्री से निमाड़ में रेलवे लाइन को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल मिला है.  काफी समय से खरगोन-बड़वानी में रेलवे लाइन की मांग की जा रही है. कई बार सर्वे भी हुए लेकिन नतीजा सिफर रहा है. अब फिर सांसद पटेल ने दोनों जिलों के रेलवे लाइन से कनेक्ट होने का दावा किया है. देखते ही इस बार क्या होता है.