Tikamgarh Constituency Election: लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. बुंदेलखंड अंचल में विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव के सियासी समीकरण थोड़े बदले हुए नजर आ रहे हैं, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित टीकमगढ़ लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश से सटी हुई है, ऐसे में इस सीट पर उत्तर प्रदेश की राजनीति का प्रभाव भी दिखता है, हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट के समीकरण बीजेपी और कांग्रेस में बराबरी की लड़ाई बता रहे हैं, फिलहाल मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र खटीक यहां से सांसद हैं, ऐसे में अगर उन्हें मौका मिलता है तो उनके कंधे पर जीत का चौका लगाने की जिम्मेदारी होगी. 


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ऐतिहासिक शहर हैं टीकमगढ़ 


टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र टीकमगढ़, छतरपुर और निवाड़ी जिले से मिलकर बना है. यह पूरा क्षेत्र सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद अहम माना जाता है. क्योंकि बुंदेलीधरा से निकले नेताओं ने केंद्र और प्रदेश की राजनीति में अपना अलग मुकाम हासिल किया है, टीकमगढ़ लोकसभा सीट 2009 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. तब से यहां बीजेपी का दबदबा देखा जा रहा है. पिछले चुनाव में बीजेपी के वीरेंद्र खटीक ने बड़ी जीत हासिल की थी. खास बात यह है कि यह लोकसभा क्षेत्र क्षेत्रफल की दृष्टि से बेहद बड़ा माना जाता है. जिसमें जातिगत समीकरण सबसे अहम रोल निभाते हैं. 


साल विजेता पार्टी
2009 डॉ. वीरेंद्र खटीक BJP
2014 डॉ. वीरेंद्र खटीक BJP
2019 डॉ. वीरेंद्र खटीक BJP

टीकमगढ़ की लोकसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि


अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित टीकमगढ़ लोकसभा सीट पर अब तक केवल तीन ही लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें तीनों के तीनों भाजपा ने जीते हैं. 2009 में पहली बार बीजेपी के डॉ. वीरेंद्र खटीक ने यहां से जीत हासिल की थी, जबकि 2014 के चुनाव में उन्होंने लगातार दूसरी जीत हासिल की और उसके बाद मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था, जबकि 2019 का चुनाव जीतने के बाद उन्हें प्रोमोट करते हुए केंद्रीय मंत्री बनाया गया था. कांग्रेस ने अब तक के तीनों चुनावों में यहां जो दांव लगाए उसके सभी दांव फेल रहे हैं. 



टीकमगढ़ में विधानसभा की 8 सीटें आती हैं


टीकमगढ़ लोकसभा सीट के तहत 8 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें टीकमगढ़, खरगापुर और जतारा आती हैं, निवाड़ी जिले की निवाड़ी और पृथ्वीपुर शामिल हैं, इसके अलावा छतरपुर जिले की छतरपुर, बिजावर और महाराजपुर शामिल हैं. हाल ही में आए विधानसभा चुनाव के नतीजों में इन सीटों में से पांच सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है, जबकि तीन सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है. जतारा, निवाड़ी, छतरपुर, बिजावर और महाराजपुर में बीजेपी ने जीत हासिल की थी, जबकि टीकमगढ़, खरगापुर और पृथ्वीपुर में कांग्रेस को जीत मिली है, ऐसे में विधानसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से यहां बीजेपी और कांग्रेस में इस बार बराबर की लड़ाई नजर आती है. 



टीकमगढ़ में जातिगत समीकरणों पर टिकी रहती है हार-जीत


बुंदेलखंड अंचल में जातिगत समीकरण सबसे अहम माने जाते हैं, ऊपर से अगर क्षेत्र उत्तर प्रदेश से सटा हुआ हो यह सियासत और गर्म हो जाती है. एससी-एसटी वर्ग सीट पर सबसे अहम माना जाता है, जबकि सवर्ण और सामान्य वर्ग किंगमेकर की भूमिका में होता है, जबकि अल्पसंख्यक और अन्य मतदाता भी यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. टीकमगढ़ लोकसभा सीट तीन नदियों बेतवा, जामनी और धसान के बीच बसा है, जबकि बुंदेलखंड का पठार भी यही है. टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र की 77.2 फीसदी आबादी ग्रामीण और 22.8 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्रों में निवास करती है. 



बात अगर टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र की समस्याओं की जाए तो यहां बहुत सारी परेशानियां आज भी जस की तस बनी हुई है. इसी वजह से यह क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के लिए ज्यादा चर्चा में रहता है. बेरोजगारी और पलायन यहां की सबसे बड़ी समस्या है, जबकि शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाओं का भी यहां साफ असर नजर आता है, इसके अलावा पानी की समस्या भी अब भी बुंदेलखंड की जस की तस समस्या बनी हुई है. हालांकि बुंदेलखंड की बहु प्रतिक्षित केन-बेतवा लिंक परियोजना को केंद्र सरकार की तरफ से अनुमति मिल चुकी है. ऐसे में इस योजना के लागू होने से यहां पानी की समस्या काफी हद तक दूर होने की उम्मीद है. 


ऐसा रहा था 2019 का परिणाम 


बात अगर 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणामों की बात की जाए तो यहां बीजेपी डॉ. वीरेंद्र खटीक ने कांग्रेस की किरण अहिरवार को हराया था. डॉ. वीरेंद्र खटीक को 6 लाख 72 हजार 248 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस की किरण अहिरवार को 3 लाख 24 हजार 189 वोट मिलेंगे. ऐसे में इस बार भी डॉ. वीरेंद्र खटीक ही इस सीट से बीजेपी के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं, वह मोदी सरकार में मंत्री भी हैं, वहीं कांग्रेस की तरफ से अब तक कोई चेहरा सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस यहां किसी अनुभवी चेहरे को आगे कर सकती है. 


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