सुबह कांग्रेस से इस्तीफा शाम तक BSP के पाले में, चंबल की इस सीट के बदलेंगे समीकरण !
Bhind Lok Sabha Seat: सुबह कांग्रेस के युवा नेता देवाशीष जरारिया ने पार्टी से इस्तीफा दिया था, जबकि शाम तक उन्होंने बीएसपी का दामन थाम लिया है.
MP Lok Sabha Election: चंबल की एक लोकसभा सीट पर वोटिंग से पहले फिर से समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं, कांग्रेस के युवा नेता देवाशीष जरारिया ने हाथ का साथ छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया है. उन्होंने बसपा सुप्रीमों मायावती के समक्ष पार्टी की सदस्यता ली है, जिसके बाद बसपा ने उन्हें भिंड लोकसभा सीट से प्रत्याशी बना दिया है, ऐसे में यहां अब मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. देवाशीष टिकट न मिलने की वजह से कांग्रेस में नाराज बताए जा रहे थे.
बसपा से लड़ेंगे चुनाव
देवाशीष जरारिया को बसपा ने भिंड लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है, भिंड लोकसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है, यहां बीजेपी ने वर्तमान सांसद संध्या राय को ही टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने विधायक फूल सिंह बरैया को प्रत्याशी बनाया है, लेकिन अब देवाशीष जरारिया के बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने से मुकाबला त्रिकोणीय होने की पूरी उम्मीद है, क्योंकि यहां एससी वर्ग सबसे अहम भूमिका में होता है, जबकि देवाशीष जरारिया की इस वर्ग पर अच्छी पकड़ मानी जाती है. ऐसे में एक तरह से कहा जा सकता है कि वोटिंग से पहले ऐन मौके पर बसपा ने भिंड लोकसभा सीट के समीकरण एक तरह से बदल दिए हैं.
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2019 में लड़े थे कांग्रेस से चुनाव
देवाशीष जरारिया को कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भिंड सीट से टिकट दिया था, हालांकि उन्हें बीजेपी की संध्या राय से हार का सामना करना पड़ा था. वह एक बार फिर से टिकट की दावेदारी कर रहे थे. लेकिन पार्टी ने इस बार फूल सिंह बरैया को मौका दिया है, जिसके बाद से ही देवाशीष जरारिया लगातार नाराज चल रहे थे, उन्होंने कई बार खुलकर सोशल मीडिया पर कांग्रेस से नाराजगी भी जाहिर की थी. लेकिन आखिरकार उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बसपा में शामिल हो गए.
त्रिकोणीय होगा मुकाबला
दरअसल, भिंड लोकसभा सीट पर बसपा का अच्छा प्रभाव माना जाता है, जबकि पार्टी को अब उम्मीदवार भी एक तरह से मजबूत मिल गया है, ऐसे में देवाशीष के चुनाव लड़ने से पहली नजर में कांग्रेस की परेशानियां बढ़ सकती हैं, हालांकि बीजेपी भी अब अलर्ट हो सकती है. क्योंकि भिंड लोकसभा सीट पर तीनों मुख्य प्रत्याशी संध्या राय, फूल सिंह बरैया और देवाशीष का अच्छा होल्ड माना जाता है, ऐसे में अब भिंड सीट पर मुकाबला रोचक होने की पूरी उम्मीद है.
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दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं जरारिया
बता दें कि कांग्रेस में रहते हुए देवाशीष जरारिया की गिनती मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबियों में होती थी, वह दिल्ली में जेएनयू में पढ़ाई करते थे, इसी दौरान वह दिग्विजय सिंह से मिले थे, जिसके बाद कांग्रेस में उनका कद बढ़ने लगा था. 2019 के लोकसभा चुनाव में खुद राहुल गांधी ने जरारिया के टिकट की पैरवी की थी. जिसके बाद उन्हें टिकट मिला भी था. चुनाव हारने के बाद भी वह भिंड लोकसभा सीट पर एक्टिव रहे थे, देवाशीष जरारिया की गिनती एमपी के उन नेताओं में होती थी, जो खुलकर कांग्रेस का पक्ष रखते थे, लेकिन लोकसभा चुनाव आते-आते अब समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं.
राजनीतिक हत्या का लगाया था आरोप
देवाशीष जरारिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद पार्टी के ही नेताओं पर अपनी राजनीतिक हत्या का आोप लगाया था. उन्होंने लिखा था कि गहन विचार-विमर्श और पार्टी द्वारा लगातार हाशिए पर धकलने की वजह से मुझे कठोर निर्णय लेना पड़ रहा है. 2019 का चुनाव हारने के बाद मुझे लगता है कि कांग्रेस नेताओं ने मेरी राजनीतिक हत्या की जिम्मेदारी ले रखी है. मुझे कांग्रेस ने दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल दिया है. इसलिए अब पार्टी छोड़ने का फैसला लिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी को भेजा था. बता दें कि इससे पहले भी उन्होंने कई बार अपना विरोध सोशल मीडिया के माध्यम से जताया था.
देवाशीष जरारिया के कांग्रेस छोड़ने और बसपा की तरफ से चुनाव लड़ने की वजह से अब भिंड लोकसभा सीट पर समीकरण कितने बदलते हैं, यह तो लोकसभा चुनाव के नतीजों में पता चलेगा, लेकिन अब तक इस सीट पर माहौल शांत था, लेकिन अब सियासी गर्माहट बढ़ने की पूरी उम्मीद है.
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