Gopal Bhargava: अपने बेबाक बयानों और अलग अंदाज से सुर्खियों में रहने वाले मध्य प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव एक बार फिर से चर्चा में हैं. क्योंकि उन्होंने इस बार चुनाव आयोग को पत्र लिखकर एक नई मांग की है. दरअसल, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के बाद मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान पर प्रतिबंध लग गया है. ऐसे में गोपाल भार्गव ने एमपी की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन को पत्र लिखकर इस प्रक्रिया को आचार संहिता से बाहर रखने की मांग की है. 


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'बीमारियां पूछ कर नहीं आती'


गोपाल भार्गव ने पत्र में लिखा 'देश भर के साथ एमपी और उनके विधानसभा क्षेत्र रहली में भी चुनाव आचार सहिंता लागू है, आचार सहिंता लागू होने की वजह से तमाम योजनाओं पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है,  जिनमे से एक मुख्यमंत्री स्वेक्षा अनुदान योजना है, जो आचार सहिंता की वजह से बाधित है. इस योजना पर रोक की वजह से बीमार लोगों के इलाज में समस्या आ रही हैं, भार्गव ने स्पष्ट लिखा है कि बीमारियां आचार सहिंता देखकर नहीं आती हैं. अतः मानवीयता को ध्यान में रखते हुए इसमें छूट दी जाए.'



पूर्व मंत्री की पहल का हुआ स्वागत 


पूर्व मंत्री ने लिखा है 'मुख्यमंत्री स्वेक्षा अनुदान के तहत सीएम सिर्फ गंभीर बीमारियों से निपटने गरीबो को मदद देते हैं, लिहाजा लोगों की जान बचाने आचार सहिंता के दौरान भी इस योजना को जारी रखा जाए. मंत्री ने चुनाव आयोग से आग्रह करते हुए लिखा कि इस मामले में सरकार को स्पष्ट निर्देश जारी किए जाए, ताकि इलाज के अभाव में कोई गरीब दम न तोड़े.' खास बात यह है कि बीजेपी नेता की इस पहल का लोगों ने स्वागत किया है. कई लोगों ने सोशल मीडिया पर उनकी पहला का स्वागत करते हुए मामले में सहमति जताई है. 


एमपी के सबसे सीनियर विधायक 


बता दें कि गोपाल भार्गव मध्य प्रदेश में सबसे सीनियर विधायक हैं, वह सागर जिले की रहली विधानसभा सीट से लगातार 9वीं बार विधानसभा का चुनाव जीते हैं. खास बात यह है कि वह अपनी बेबाकी और बयानों की लेकर सुर्खियो में रहते हैं और एक बार फिर इस चिट्ठी को लेकर वो चर्चाओं में आ गए हैं, इसके अलावा वह अपने समाजिक कार्यों की वजह से भी चर्चा में रहते हैं. गोपाल भार्गव लंबे समय तक मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं. 


सागर से महेंद्र दुबे की रिपोर्ट 


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