भोपालः मध्य प्रदेश विधानसभा का तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र 28 दिसंबर से शुरू हो रहा है. उससे पहले 27 दिसंबर को प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. विधानसभा सचिवालय 29 दिसंबर को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के निर्वाचन की अधिसूचना जारी कर चुका है. विधायकों की संख्या के हिसाब से देखें तो विधानसभा अध्यक्ष बीजेपी का ही होगा. हालांकि, इस सत्र में सदन के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का निर्वाचन होगा या नहीं इस पर स्थिति सर्वदलीय बैठक में साफ होगी. 


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सर्वदलीय बैठक में विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर चर्चा संभव
सर्वदलीय बैठक में कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखकर सत्र के स्वरूप पर निर्णय होगा. इस बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ, संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविंद सिंह के अलावा सपा और बसपा विधायक शामिल होंगे. भाजपा सूत्रों की मानें तो विधानसभा अध्यक्ष पद की दौड़ में पार्टी के 6 विधायक हैं. इनमें विंध्य के वरिष्ठ विधायक गिरीश गौतम सबसे आगे हैं.  पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा के नाम की भी चर्चा है.


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विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए इन नामों पर भी चर्चा चल रही है
इनके अलावा विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए रीवा विधानसभा सीट से पांचवीं बार विधायक चुने गए  राजेंद्र शुक्ल, सतना जिले की नागौद विधानसभा सीट से विधायक नागेंद्र सिंह, सीधी विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक केदार शुक्ला, मंदसौर सीट से विधायक बने यशपाल सिंह सिसोदिया के नामों की चर्चा भी चल रही है. बीते 29 नवंबर को सीएम हाउस में मुख्यमंत्री शिवराज चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुभाष भगत के बीच हुई बैठक में विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए संभावित नामों चर्चा हुई थी. अंतिम निर्णय सर्वदलीय बैठक में हो सकता है.


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विधानसभा अध्यक्ष पद पर BJP विधायक का निर्वाचित होना तय
मध्य प्रदेश के गृह एवं संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा पहले ही संकेत दे चुके हैं कि विधानसभा में बहुमत होने के कारण अध्यक्ष का पद भाजपा के खाते में ही जाएगा. लेकिन उपाध्यक्ष का पद भाजपा कांग्रेस को नहीं देगी. नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने की परंपरा रही है, लेकिन कमलनाथ सरकार के दौरान यह परंपरा तोड़ी गई. उस समय यह पद विपक्षी दल भाजपा को देने के बजाय कमलनाथ सरकार ने अपने पास रखा था. अब देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व पुरानी परंपरा को जारी रखता है या कमलनाथ की रात पर चलते हुए उपाध्यक्ष का पद भी अपने पास रखने का फैसला करता है. 


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