भोपाल/हरीश गुप्ताः इंसान अगर कुछ ठान ले और कड़ी मेहनत करे तो वह कुछ भी कर सकता है. ऐसा ही कुछ पन्नालाल ने करके दिखाया है. बता दें कि पन्नालाल मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के भंगवा के छोटे से गांव कुडलिया का निवासी है. पन्नालाल के पिता को टीबी और दादा को किडनी की बीमारी थी. किडनी की बीमारी के चलते दादा की मौत हो चुकी है. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण पन्नालाल ने अपने परिजनों का इलाज कराने के लिए डॉक्टर बनने का सपना देखा. अब अपनी मेहनत के दम पर वह उसे पूरा करने के करीब पहुंच गया है.


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पन्ना लाल ने बताया कि उसके पिता कटोरा अहिरवार मजदूरी करते है ,लेकिन उन्हे दस साल पहले टीबी हो गई थी ,उसी समय उसके दादा की किडनी खराब हो गई थी. घर की हालत इतनी अच्छी नही थी कि दादा की किडनी बदलवा सके. जिससे बाद में इलाज के अभाव में  उनकी मौत हो गई. तब वह छठवी कक्षा मे पढ़ता था ,लेकिन उसने तभी ठाना की वह अब डॉक्टर बनकर लोगो की सेवा करेगा.


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क्लीयर किया NEET का एग्जाम  
पन्नालाल के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. पिता और दादा जहां बीमार रहते थे, वहीं मां बीड़ी बनाकर परिवार की गुजर बसर करती है. सरकारी इलाज से अब पिता की टीबी की बीमारी ठीक हो चुकी है. हालांकि घर के हालात ने पन्नालाल को जिंदगी में कुछ करने की प्रेरणा दी. जिसके लिए पन्नालाल ने पढ़ाई में खूब मेहनत की और इसी मेहनत के दम पर उसने नीट की परीक्षा पास की. 


उधार लेकर जमा की फीस
हालांकि नीट की परीक्षा पास करने के बाद भी पन्नालाल और उसके परिजनों की मुश्किलें कम नहीं हुई. दरअसल नीट एग्जाम क्लीयर करने के बाद उसे जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला है लेकिन कॉलेज की फीस जमा करने के लिए उनके पास पैसे नहीं है. ऐसे में गांव के कुछ लोगों ने पन्नालाल के परिजनों को 40 हजार रुपए उधार दिए, जिससे उसका एडमिशन हो सका. इसके साथ ही अब पन्नालाल का डॉक्टर बनने का सपना भी पूरा हो सकेगा. 


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