शिवपुरी: जहां जाति का नहीं बल्कि चलता है `महल` का जादू...
शिवपुरी विधानसभा सीट यशोधरा राजे सिंधिया की परंपरागत सीट मानी जाती है.
भोपाल: शिवपुरी विधानसभा सीट कई मायनों में खास है, क्योंकि यह एक मात्र ऐसी सीट है, जिस पर जातिगत समीकरणों का नहीं बल्कि महल का जादू चलता है. यह प्रदेश की खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की परंपरागत सीट है. वह सिंधिया राजघराने से ताल्लुक रखती हैं.
यशोधरा राजे सिंधिया का जन्म 19 जून, 1954 को लंदन में हुआ था. वह ग्वालियर के सिंधिया घराने में जन्मीं थीं. उनके पिता महाराजा मराठा जीवाजी राव सिंधिया और मां राजमाता विजयराजे सिंधिया थीं. राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया उनकी बड़ी बहन हैं. साथ ही बीजेपी के कद्दावर नेता रहे दिवंगत माधवराव सिंधिया उनके बड़े भाई थे.
1977 में की शादी
यशोधरा राजे सिंधिया की शादी 1977 में कार्डियोलॉजिस्ट सिद्धार्थ भंसाली से हुई. वह शादी के बाद ही अमेरिका चली गईं और न्यू ऑर्रियंस में बस गईं. उनके तीन बच्चे हैं. हालांकि उनका उनके पति से तलाक हो गया और वह 1994 में भारत लौट आईं. इसके बाद उन्होंने राजनीति ज्वाइन की.
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ग्वालियर से रही हैं सांसद
मौजूदा समय में यशोधरा राजे सिंधिया मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. यशोधरा राजे सिंधिया ने 1998 और 2003 में मध्यप्रदेश के शिवपुरी से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. मध्यप्रदेश विधान सभा चुनावों में बीजेपी की जीत पर वह पर्यटन, खेल और युवा मामलों की राज्यमंत्री बनीं. यशोधरा राजे 2007 में ग्वालियर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में भी बीजेपी की सीट पर जीत हासिल कर चुकी हैं. 2009 में हुए आम चुनावों में भी वह ग्वालियर से बीजेपी की सीट पर सांसद चुनी गई थीं.
2013 में दिखाई थी 6 करोड़ की संपत्ति
2013 में भी यशोधरा राजे सिंधिया ने बीजेपी की टिकट पर शिवपुरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. उन्होंने इस चुनाव में करीब 76 हजार वोटों से जीत हासिल की थी. 2013 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी ओर से दाखिल किए हलफनामे में यशोधरा राजे सिंधिया ने 6 करोड़ की संपत्ति घोषित की थी.
उनके हलफनामे के मुताबिक उनके पास 1.3 करोड़ के सोने और हीरों के आभूषण हैं. उनके पास 22 कैरेट सोने का डिनर सेट है. इसकी कीमत 1.5 करोड़ रुपए है. यशोधरा राजे सिंधिया ने अपने हलफनामे में 6 करोड़ की संपत्ति तो घोषित की थी, लेकिन उनके हलफनामे के मुताबिक उनके पास कोई घर नहीं है. हालांकि उनके नाम देहरादून और राजस्थान में 3.5 एकड़ की जमीन है, जिसकी कीमत उस समय 46.5 लाख रुपए थी.
राजनीति से भी जुड़ा रहा है राजघराना
भारत की आजादी के बाद 1947 में अग्रेजी हुकूमत ने देसी रियासतों के सामने एक चयन प्रस्ताव रखा था. उनसे कहा गया था कि वे चाहें तो अलग रहें या भारत या पाकिस्तान में विलय कर लें. लेकिन सिंधिया परिवार ने भारत में विलय का निर्णय लिया था और जीवाजीराव मध्य भारत में राजप्रमुख बना दिए गए थे. 1962 में जीवाजीराव की पत्नी राजमाता विजया राजे सिंधिया ने राजनीति में प्रवेश लिया और तबसे उनके परिवार भारत की दोनों प्रमुख पार्टियों में अपनी दमदार स्थिति बनाए रखी.
विजया राजे सिंधिया
यशोधरा राजे सिंधिया की मां विजया राजे सिंधिया का जन्म 12 अक्टूबर, 1919 को मध्य प्रदेश के सागर में हुआ था. उनका वास्तविक नाम लेखा देवीश्वरी देवी था. ग्वालियर के महाराजा जीवाजीराव सिंधिया से विवाह के बाद उनका नाम विजया राजे रखा गया था. सिंधिया राजघराने का रुख हिन्दू महासभा के लिए था. इसी को भांपते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ग्वालियर के महाराज को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पेशकश की. उनके मना करने पर राजमाता सिंधिया को चुनाव लड़ने के लिए मनाया गया और पहली बार 1957 में वह सांसद बनीं. बाद में उन्होंने कांग्रेस से अनबन के बाद पार्टी छोड़ दी.
1967 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव विजयाराजे सिंधिया ने गुना संसदीय सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता. वह जनसंघ से भी चुनाव लड़ीं और जीती. विजयाराजे सिंधिया भारतीय जनता पार्टी में भी रहीं और वो 1989 में बीजेपी से ही गुना से जीतीं. इसके बाद 1991, 1996 और 1998 में यहां से चुनाव जीतती रहीं. 1999 में वो सक्रिय राजनीति से हट गईं और 2001 में उनका निधन हो गया.