भोपाल: मध्य प्रदेश की राजनीति में गोविंदपुरा विधानसभा सीट पर हमेशा से लोगों का ध्यान रहा है. दरअसल, इस सीट की खासियत यह है कि यहां के मतदाता पिछले 44 साल से एक ही नेता बाबूलाल गौर को चुनकर विधानसभा में भेजते आ रहे हैं. यह सीट मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का गढ़ माना जाता है. हालांकि माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार उन्हें यहां से टिकट नहीं देगी. यानी उनका सक्रिय राजनीति से संन्यास हो जाएगा.


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गोविंदपुरा सीट पर 50 फीसदी से ज्यादा वोटर पिछड़ी जाति से हैं. मध्य प्रदेश की राजनीति में माना जाता है कि पिछड़ी जाति के लोग बीजेपी के पारंपरिक वोटर हैं. दिलचस्प बात यह है कि बाबूलाल गौर की उम्र के साथ ही इस सीट पर उनके जीत का अंतर बढ़ता चला गया. 2013 के चुनाव में बाबूलाल गौर ने कांग्रेस के गोविंद गोयल को 70 हजार वोटों के अंतर से हराया था. इससे पहले 2008 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की उम्मीदवार विभा पटेल को 33 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी.


गोविंदपुरा की जनता भले ही बाबूलाल गौर पर हमेशा भरोसा करती रही है, लेकिन इलाके के लोगों का कहना है कि उन्होंने उस हिसाब से यहां विकास नहीं कराया. इस इलाके के बड़े हिस्से में अभी तक बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य केंद्र जैसी मूलभूत जरूरतों का अभाव है.


मालूम हो कि मध्‍य प्रदेश की सभी सीटों पर 28 नवंबर को वोटिंग होगी. भाजपा के मजबूत राज्‍य कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में भी शिवराज सिंह चौहान अपने चौथे कार्यकाल के लिए दमखम लड़ाएंगे. मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं. जहां तक गोविंदपुरा की बात है तो इस बार देखना दिलचस्प होगा कि यहां अगर 44 साल बाद बीजेपी किसी नए उम्मीदवार को टिकट देती है तो जनता की प्रतिक्रिया क्या रहती है.