नई दिल्ली: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे रोमांचक चुनाव मध्य प्रदेश में होता दिख रहा है. दोपहर 12.30 बजे तक कांग्रेस और बीजेपी की बढ़त का आंकड़ा बराबर झूला झूल रहा है. कम से कम तीन बार भाजपा और इतनी ही बार कांग्रेस बहुमत का आंकड़ा छूकर नीचे आ चुकी है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इसी तरह प्रतिष्ठापूर्ण सीटों पर भी बढ़त ऊपर नीचे हो रही है. अब तक के रुझान बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश के मध्य हिस्से और विंध्य क्षेत्र में बीजेपी को बढ़त हासिल है वहीं बाकी बाकी इलाकों में कांग्रेस भारी है. बुंदेलखंड के इलाके में कांटे के मुकाबले में बीजेपी का पलड़ा भारी है.


इन नतीजों को देखकर अभी एक दिन पहले दिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का वह बयान याद आता है कि उनसे बड़ा चुनाव सर्वे करने वाला कोई नहीं है. तो दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह की बात याद आती है कि कांग्रेए कम से कम 126 सीटें हासिल करेगी. अभी की स्थिति में कमलनाथ का 140 सीटों वाला बयान अतिकथन की तरह दिख रहा है.


चुनाव आयोग की साइट पर दोनों दलों को वोट परसेंट और सीटें एक दूसरे से कंधा रगड़ती नजर आ रही हैं.


यह चुनाव इतना दिलचस्प हो गया है कि भाजपा के दिग्गज नेता और महासचिव कैलाश विजयवर्गीय तक गच्चा खाते दिख रहे हैं. वे एक चैनल पर बैठे थे तब उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय इंदौर 3 से पीछे चल रहे थे, वहां उन्होंने एक तरह से पार्टी के प्रदर्शन को कमजोर मान लिया. लेकिन अगले चैनल पर पार्टी की सीटें बढ़ने पर उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान ने अच्छा काम किया है.


हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस की ओर से कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ने ही अपने लब सिल रखे हैं.


मतगणना जिस तरह धीमे धीमे आगे बढ़ रही है, वैसे में इस चुनाव के नतीजे पर जल्दी कयास लगाना नादानी होगी. यह चुनाव अब एक ऐसे टी 20 मैच की तरह हो गया है, जिसमें हर ओवर और बॉल के साथ विकेट और रन रेट का समीकरण बदलता रहता है.


बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर इस चुनाव में छुपा रुस्तम बनकर निकली है. खबर लिखे जाने तक पांच सीट पर उसकी लीड थी. एक सीट पर सपा भी आगे है. गोंगापा भी दो सीटों पर आगे है.


ऐसे में जब तक मध्य प्रदेश की आखिरी सीट का रिजल्ट सामने नहीं आ जाएगा तब तक कुछ भी कहना ठीक नहीं है. क्रिकेट कमेंटेटर्स की भाषा में कहें तो यह चुनाव इतना रोमांचक हो गया है कि अब कमजोर दिल वालों के लिए नहीं बचा है.  


और अगर कहीं दोनों पार्टियों के बीच मैच टाई हो गया तो सुपर ओवर का फैसला बीएसपी का हाथी ही करेगा. देखते जाइये यह चुनाव कैसे-कैसे लहराता है.