भोपाल: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के बाद मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार भी 'लव जेहाद' के खिलाफ अध्यादेश के जरिए कानून लेकर आएगी. इसकी जानकारी खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडियो को दी है. यह अध्यादेश 29 दिसंबर को लाया जाएगा. शिवराज कैबिनेट ने 26 दिसंबर को 'मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2020' विधेयक को मंजूरी दी थी. अब मंगलवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में अध्यादेश को मंजूरी दे दी जाएगी. 


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यूपी की योगी सरकार ने पिछले महीने लाया था अध्यादेश
मध्य प्रदेश की कार्यकारी राज्यपाल आनंदीबेल पटेल भी राज्य के दौरे पर हैं, ऐसे में इस अध्यादेश को उनकी भी मंजूरी जल्द मिल सकती है. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बीते 24 नवंबर को अध्यादेश के जरिए 'यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020' ला चुकी है. इस अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 26 नवंबर को अपनी मंजूरी दी और 'लव जेहाद' कानून यूपी में लागू हो गया था.


अध्यादेश के जरिए 'लव जेहाद' कानून क्यों लाना पड़ रहा?
दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 28 से 30 दिसंबर के लिए प्रस्तावित था. शिवराज सरकार इसी सत्र में 'धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2020' विधेयक को सदन के पटल पर रखने वाली थी. लेनिक विधानसभा के 61 कर्मचारी और 7 विधायक कोरोना पॉजिटिव निकल गए. नतीजन शीतकालीन सत्र को स्थगित कर दिया गया. अब ​शिवराज सरकार अध्यादेश के जरिए धर्म स्वतंत्रता कानून लाने की तैयारी कर चुकी है.


'मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2020' विधेयक में निम्न प्रावधान हैं


1. प्रलोभन, धमकी, कपट, षड़यंत्र से या धर्म छिपाकर विवाह करने पर विवाह को शून्य माना जाएगा.
2. कानून के प्रावधानों के विरुद्ध धर्म परिवर्तन किए जाने पर कम से कम 1 साल और अधिकतम 5 साल का कारावास होगा.
3. कानून के प्रावधानों के खिलाफ महिला, नाबालिग, SC-ST के धर्म परिवर्तन किए जाने पर कम से कम 2 साल और अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना होगा.
4. अपना धर्म छिपाकर कानून के प्रावधानों के खिलाफ धर्म परिवर्तन करने पर कम से कम 3 साल और अधिकतम 10 साल की सजा व ₹50000 जुर्माने का प्रावधान.
5. दो या दो से अधिक लोगों का एक ही समय में धर्म परिवर्तन पर कम से कम 5 साल और अधिकतम 10 साल की सजा और कम से कम 1 लाख रुपए के अर्थदंड का प्रावधान है. 
6. एक से अधिक बार कानून का उल्लंघन पर 5 से 10 साल की सजा का प्रावधान है.
7. कानून के दायरे में आने के बाद विवाह शून्य घोषित करने का भी प्रावधान है.
8. पैतृक (मूल) धर्म  में वापसी को धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा.
9. धर्म परिवर्तन करने पर परिजन की शिकायत को कानून में जरूरी किया जाएगा.
10. इस अधिनियम के तहत दर्ज अपराध संज्ञेय और गैरजमानती होंगे. जिसकी सुनवाई सेशन कोर्ट या फिर विशेष अदालत में होगी. 
11. प्रावधान के मुताबिक सब इंस्पेक्टर से नीचे का पुलिस कर्मी इस कानून के तहत दर्ज मामले की जांच नहीं करेगा.
12. प्रावधान में निर्दोष होने के सबूत पेश करने की बाध्यता अभियुक्त पर रखी गयी है.
13. विवाह शून्य करने का फैसला परिवार न्यायलय में लिया जाएगा. 
14. प्रावधान के मुताबिक पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण हासिल करने का अधिकार दिया जाएगा.
15. पैदा हुए बच्चे को अपने पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में दावा करने की स्वतंत्रता होगी.
16. अधिनियम के तहत दर्ज मामले में धर्म परिवर्तन कराने वाली संस्थाएं और लोग भी आरोपी के बराबर कार्यवाही के दायरे में आएंगे. साथ ही ऐसी संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द होगा.
17. धर्म परिवर्तन कराने के पहले कलेक्टर को 2 महीने पूर्व सूचना देना जरूरी होगा.
18. सूचना नहीं देने पर 3 से 5 साल तक की सजा और ₹50000 जुर्माने का प्रावधान.
19. 2020 का अधिनियम पारित होने के बाद 1968 का 'मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम' खत्म हो जाएगा.


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