सागर: मध्य प्रदेश के राहतगढ़ जनपद की ग्राम पंचायत पराषरी कला के हुरा गांव में श्मशान घाट की कमी और व्यवस्थाएं नहीं होने की वजह से स्थानीय लोग खुले में मृत परिजनों का अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं. श्मशान घाट की जमीन नहीं होने की वजह से लोग स्थानीय नेताओं और प्रशासन से भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन फिर भी अभी तक श्मशान का निर्माण नहीं करवाया गया है.


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दरअसल, गुरुवार को हुरा गांव की रहने वाली हरी बाई राजपूत का 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. ग्राम पंचायत में श्मशान घाट नहीं होने की वजह से अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को उन्हें दूसरे गांव में लेकर जाना पड़ा. रास्ता ठीक नहीं होने की वजह परिजनों को शव के साथ कीचड़ और पानी भरे रास्ते से भी होकर गुजरना पड़ा.


बारिश के बीच किसी तरह जब परिजन श्मशान घाट पहुंचे तो, वहां टीन शेड तक नहीं था. जिसकी वजह से उन्हें खुले में ही अंतिम संस्कार करना पड़ा. ग्रामीणों के मुताबिक गांव की 1500 के करीब आबादी है. बावजूद इसके गांव में ढंग का श्मशान घाट नहीं है. जिसकी वजह से ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.


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ग्रामीणों के मुताबिक श्मशान घाट के संबंध में पूर्व विधायक और वर्तमान में राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत सहित कई नेताओं से की गई, लेकिन अभी तक श्मशान का निर्माण नहीं कराया गया. 


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