सागर: शहडोल के जिला अस्पताल में बच्चों के मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है, इधर सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में भी एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां के एसएनसीयू में एडमिट 17 नवजातों की जान जाते-जाते रही. दरअसल, मेडिकल कॉलेज में रविवार रात 12:30 के करीब वोल्टेज की गड़बड़ी के कारण सिक न्यू बोर्न चाइल्ड केयर यूनिट (SNCU) में मौजूद सभी बच्चों को दवा देने वाले इंफ्यूजन पंप और वेंटिलेटर में फॉल्ट हो गया. मशीनें बंद होने से नवजातों की जान पर बन आई. नर्सिंग स्टाफ व डॉक्टरों ने आनन-फानन में 17 नवजातों को जिला अस्पताल के एसएनसीयू में शिफ्ट किया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सब-इंस्पेक्टर पति को हॉस्पिटल देखने पहुंची बीवी तो वहां मिली सौतन...अब उलझ गया है मामला


वॉर्मर सप्लाई करने वाली कंपनी से इंजीनियर को फोन कर बुलवाया गया. सोमवार सुबह तक वॉर्मर वापस ठीक किए गए. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदार अधिकारी मामले में मीडिया से बात करने को तैयार नहीं हैं. एनआईसीयू में स्टेबलाइजर नहीं होने के कारण यह फॉल्ट हुआ. अगस्त में वार्ड शुरू होने से पहले उपकरण खरीदी के प्रस्ताव में स्टेपलाइजर भी शामिल था. लेकिन बजट की कमी बताकर स्टेबलाइजर लेने से मना कर दिया गया. इसके बाद से बगैर स्टेबलाइजर के ही मशीनें संचालित हो रही थीं.


CM शिवराज ने कहा- भगवान के बाद मेरे लिए किसान, कृषि कानूनों पर विरोधी दल कर रहे ढोंग


सभी नवजात सुरक्षित हैं. अब हर मशीन पर एक-एक स्टेपलाइजर पीडब्ल्यूडी के माध्यम से फिट कराए जा रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो. मेडिकल कॉलेज में मशीनें फॉल्ट होने के बाद डॉक्टर, नर्स एवं अस्पताल के स्टाफ ने सभी 17 नवजातों को एक-एक कर जिला अस्पताल के एसएनसीयू में शिफ्ट कराया. सोमवार सुबह चार बजे तक शिफ्टिंग पूरी हुई. इससे जिला अस्पताल में वॉर्मर पर लोड बढ़ गया है. वहां 22 वॉर्मर हैं, जिन पर सोमवार सुबह तक 48 बच्चे भर्ती थे. नवजातों की शिफ्टिंग के बाद बीएमसी के शिशु रोग विभाग के डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी सोमवार को सागर जिला अस्पताल के एसएनसीयू में लगी थी.


WATCH LIVE TV