MP News: रीवा जिले के त्यौंथर तहसील में क्लिनिक चला रहे दो झोलाछाप डॉक्टरों ने एक 10 वर्षीय मासूम की जान ले ली. आरोप है कि झोलाछाप डॉक्टरों ने 10 वर्षीय मासूम के इलाज के नाम पर एक के बाद एक 7 ग्लूकोज की बोतल चला दीं, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई और फिर मासूम ने दम तोड़ दिया. हालत बिगड़ने पर तत्काल उसे प्रयागराज के लिए रेफर किया गया, लेकिन हालत गंभीर होने के चलते उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. 


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बेटे की मौत के बाद परिजनों का आरोप है कि झोलाछाप डॉक्टरों ने एक के एक के बाद एक लगातार ग्लूकोज के 7 बॉटल का डोज दे दिया, जिससे उसकी मौत हो गई. घटना के बाद से ही दोनों डॉक्टर क्लिनिक बंद करके फरार हैं. फिलहाल इस पूरे मामले को लेकर कोई भी वरिष्ठ अधिकारी मीडिया के कैमरे के सामने कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आ रहे है. अब देखना यह होगा कि दोनों झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कब और कैसी कार्रवाई की जाएगी.


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झोलाछापों पर कार्रवाई के लिए बोल चुकी सरकार
मध्य प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टर लगातार अपना जाल बिछाते नजर आ रहे हैं. इन्हीं झोला छाप डॉक्टर के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. इसको लेकर कई दिशा निर्देश भी जारी किए गए थे. सरकार के द्वारा भले ही कड़े निर्देश जारी किए गए हो, लेकिन अब भी यह झोले छाप डॉक्टर बेखौफ होकर लोगों का इलाज फर्जी तरीके से कर रहे हैं. आज उन्हीं के फर्जी इलाज करने के चलते एक मासूम 2 झोला छाप डॉक्टर की इन फर्जी दवाइयां का शिकार हुआ और उसकी मौत हो गई है.


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सरकार ने निकाला था आदेश
प्रदेश सरकार ने गली-मोहल्लों में क्लीनिक खोलकर इलाज करने वाले फर्जी और झोलाछाप डॉक्टरों खिलाफ कुछ ही दिन पहले आदेश निकाला था. इस आदेश में सभी जिलों के कलेक्टर और जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को गांव-शहर में झोलाछापों की तलाश कर उचित कार्रवाई करने के लिए कहा था. ऐसे डॉक्टर बिना किसी डिग्री और ट्रेनिंग के इलाज करते हैं. कई बार इलाज में गड़बड़ होने की वजह से मरीज की जान तक चली जाती है.  


रीवा से अजय मिश्रा की रिपोर्ट