नितिन चावरे/कटनी: महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में गन्ने की कटाई के लिए गए कटनी जिले के कई आदिवासी मजदूरों को बंधक बना लिया गया है. जिसके जानकारी लगते ही विजयराघवगढ़ अंचल के ग्रामीणों ने कलेक्टर अवि प्रसाद से मिलकर शिकायत दर्ज कराई. कलेक्टर ने सक्रियता दिखाते हुए 1 हफ्ते में ही सभी बंधक श्रमिकों को वपास ट्रेन से कटनी वापस ले आए.


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बता दें कि एक तरफ प्रदेश सरकार गरीब आदिवासी को रोजगार दिलाने की बात करती हुई नजर आती है लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ और ही हकीकत समाने आती है. जिसका ताजा मामला मध्यप्रदेश के कटनी जिले में देखने मिला. जहां रोजगार की तलाश में भटक रहे आदिवासी श्रमिकों को रोजगार नहीं मिला तो वो महाराष्ट्र के बिचौलिए के हाथ में फंस गए. 


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3 से 5 लाख रुपये की मांग करते
मामला प्रदेश के सबसे चर्चित विधायक संजय पाठक की विजयराघवगढ़ विधानसभा का है. जहां ग्राम उबरा, सिजहरा और भरेबा गांव के रहने वाले 20 लोग महाराष्ट्र के ठेकेदार ने उन्हें गन्ने की कटाई पर 400 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी का झांसा देकर महाराष्ट्र के कोल्हापुर ले गए और उनसे दिन-रात काम लेने लगे. श्रमिक जब पैसे मांगते तो उनसे गाली गलौच कर मारपीट करते. यही नहीं वापस जाने के लिए उलटा 3 से 5 लाख की मांग करते.


रोजगार न मिला तो बाहर गए
मजदूरों ने बताया कि यहां रोजगार न मिलने से बाहर गए थे. महाराष्ट्र के व्यक्ति द्वारा गन्ना कटाई के लिए प्रतिदिन 400 रुपए की मजदूरी बोलकर ले जाया गया. विजयराघवगढ़ से हम 20 लोग काम के लिए गए थे लेकिन पिछले 2 माह से पैसा नहीं मिले. पैसे मांगने पर हमारे साथ मारपीट की जाती थी. किसी तरह 4 लोग वहां से भाग कर कटनी आए और हम लोगों ने भी कटनी कॉल करके मदद मांगी थी. जिसके बाद बंधक मजदूरों के परिजनों ने कलेक्टर अवि प्रसाद से शिकायत करते हुए सभी को रिहा करवाने की मांग की थी.


श्रम अधिकारी बचते नजर आए
मामले की गम्भीरता देखते हुए जिले के मुखिया ने तत्काल एक्शन लेते हुए कोल्हापुर कलेक्टर और एसपी को पत्राचार किया. जिसके बाद महाराष्ट्र प्रशासन ने सभी 16 बंधक मजदूरों को रिहा करवा कर ट्रेन के माध्यम से कटनी भिजवाया. हालांकि पूरे मामले पर दोषी कॉन्ट्रैक्टर और बंधक बनाने वाले लोगों पर क्या कार्रवाई हुई इसका अभी तक पता नहीं चल सका. फिलहाल देखना ये है कि इन सभी मजदूरों को जिला प्रशासन रोजगार दिलवाने में सफल होती है या एक बार फिर ये किसी ठेकेदार का शिकार बन बंधुआ मजदूर बन जाएंगे. वहीं जब श्रम अधिकारी से इस बात की जानकारी लेनी चाही तो वो बचते नजर आए.