MP News: मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में मां बगलामुखी का मंदिर है. प्रदेश के साथ देशभर से यहां भक्त मां के दर्शन करने आते हैं.  कई बार होता है मंदिर में जाते वक्त लोग अपने कपड़ों पर ध्यान नहीं देते हैं, वाहं से गुजरते जैसी हालत में हैं, दर्शन करने चले जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं कर पाएंगे. अब किसी भी तरह के कपड़े पहनकर मंदिर के गर्भ गृह में एंट्री नहीं मिलेगी.  मां के दर्शन करने जाने से पहले मर्यादित कपड़े पहनमे पड़ेंगे. इसे लेकर बकायदा एक गाइडलाइन जारी की गई है. अगर आपके कपड़े अमर्यादिद हुए तो बाहर से ही दर्शन करके लौटना पड़ेगा. मंदिर समिति ने भक्तों को सूचित करने के लिए बाहर एक बोर्ड लगा दिया है. बता दें बगलामुखी मंदिर शासन के अधीन है, समिति के अध्यक्ष एसडीएम हैं. 


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बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट नहीं चलेगा
बताया जा रहा है कि लगातार मंदिर समिति को इसे लेकर शिकायतें मिल रही थीं. इसके बाद समिति को ये सख्त कदम उठाना पड़ा. मंदिर के बाहर बोर्ड लगाकर श्रद्धालुओं को बताया गया है कि अंदर आने से पहले तरीके के कपड़े पहनें. साथ ही मंदिर में मौजूद पुजारी भी लोगों से अपील कर रहे हैं  कि मंदिर में फैशन का प्रदर्शन ना करें. संस्कृति की रक्षा हमें ही करना है.  मंदिर समिति ने मां बगलामुखी मंदिर के बाहर जो बोर्ड लगाया है उस पर लिखा है 'मंदिर में आने वाली सभी महिलाएं, बालिकाएं एवं पुरुषों से अनुरोध है कि मंदिर परिसर में मर्यादित वस्त्र पहनकर ही आएं. छोटे वस्त्र जैसे हाफ पेंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जींस आदि पहनकर आने पर बाहर से ही दर्शन कर सहयोग करें. हम ही हमारी संस्कृति के रक्षक हैं'.


5000 साल पुराना इतिहास 
मां बगलामुखी की मूर्ति दुनियाभर में सिर्फ 3 मंदिरों में स्थापित की है. एक मध्य प्रदेश के दतिया में, एक यहां नलखेड़ा में और तीसरी नेपाल में. मान्यता है कि नेपाल और दतिया में श्री श्री 1008 आद्या शंकराचार्य जी द्वारा मां की प्रतिमा की स्थापना हुई थी. नलखेडा में इस स्थान पर मां बगलामुखी पीतांबर रूप में शाश्वत काल से विराजित हैं. ये विश्व शक्ति पीठ के रूप में भी प्रसिद्ध है. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि मां बगलामुखी की मूर्ति की स्थापना का कोई प्रमाण नहीं है, यानि ये मूर्ति स्वयं सिद्ध स्थापित हुई है. काल गणना के हिसाब से ये स्थान करीब 5000 साल से है. कहा जाता है की महाभारत काल में पांडव जब विपत्ति में थे तब उन्होंने इस स्थान की उपासना की थी. भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें मां बगलामुखी की साधना के लिए कहा था. तब एक चबूतरे पर मां की मूर्ति विराजित थी. पांडवों ने आराधना कर परेशानियों से मुक्ति पाई, अपना खोया हुआ राज्य वापस पा