कन्नीराम यादव/आगर मालवा: जरूरी नहीं है कि हम वर्दी में होने पर ही देश की सेवा करेंगे. देश के सेवा के और भी कई रास्ते हैं.  हम वर्दी में न होते हुए भी इस काम को अंजाम दे सकते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है आगर जिले के ओंकार लाल यादव ने, जिन्होंने खुद पुलिस की परीक्षा पास होने के बाद भी नौकरी न पाने से आहत होकर अपने सपनों को नए युवाओं में देखना शुरू किया और फिर उन्होंने फौजी की निशुल्क ट्रेनिगं करानी शुरू कर दी. वे अब तक ट्रेनिंग देकर सैकड़ों युवाओं को नौकरी दे चुके हैं. 


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पारिवारिक स्थिति के कारण नहीं बन पाए SI
दरअसल आगर जिला मुख्‍यालय से 16 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से ग्राम तनोडिया के शिक्षक ओंकार यादवआज माध्यमिक विद्यालय में सहायक अध्‍यापक की नौकरी कर रहे हैं. ओंकार यादव जब 15 साल के थे तो पिता का निधन हो गया, ऐसे में परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई और जिम्‍मेदारी उन पर आ गई. लेकिन वे लक्ष्‍य से भटके नहीं प्रयास करते रहे, 1998 में एसआई की परीक्षा दी और पास भी हो गए. लेकिन आर्थिक स्थिति के कारण आगे नहीं बढ पाए. वो एक समय था जब देश और जनता की सेवा करने के भाव को लेकर इस युवा ने भी बड़े-बड़े सपने देखे थे. मगर इसे क्या पता था कि तमाम योग्यता रखने के बाद भी उसकी प्रतिभा गरीबी की भेंट चढ़ जायेगी. पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण ओंकार ने अपने सपनों को गरीबी के पैरों तले कुचल दिया और परिवार के भरण पोषण के लिए स्कूल में सहायक अध्‍यापक की नौकरी कर ली.


गरीब लड़कों के लिए करते हैं दिन रात मेहनत
ओंकार यादव से जब 2008 में गांव के ही दो युवकों ने पीड़ा बताई की गरीबी के कारण ट्रेनिंग के अभाव में फौज की परीक्षा में अयोग्य घोषित हो गए हैं. युवकों की बातों से ओंकार का सपना फिर से जन्म लेने लगा और वह अपने सपने को इन युवाओं के माध्‍यम से साकार करने की योजना में जुट गए. उन दोनों युवकों को शारीरिक और लिखित ट्रेनिंग देने के बाद जब दोनों युवाओं का चयन फौज में हो गया और जब गांव में युवाओं का विजय जुलूस निकालकर खुशियां मनाई गई तो ओंकार के सपने फिर जिंदा हो गए, अबकी बार यह शिक्षक बेरोजगार और गरीब लड़कों की सफलता में अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा और सम्मान के साथ साथ खुद के सपने साकार करने में जुट गया.


सुबह शाम दो-दो घटें करते हैं प्रशिक्षित
गांव और आसपास के बच्चों में भी अब उम्मीदें जागने लगी है, यादव अपने द्वारा बनाई गंगा एकेडमी में निशुल्‍क दी जाने वाली तैयारी के दौरान होने वाले टेस्‍ट में कोई कमी नहीं छोडते, सुबह 5 बजे से उठकर खेल मैदान में पंहुच जाते हैं, सरकारी स्‍कुल के इस अध्यापक द्वारा सुबह और शाम 2-2 घंटे सेकड़ों बच्चों को प्रशिक्षित किया जाता है, जिसमें उन्हें शारिरिक शिक्षा में दौड़ाना और व्यायाम करवाने के साथ-साथ आसान तरीकों से लिखित परीक्षा की तैयारी भी करवाई जाती है. उनके साप्‍ताहिक टैस्‍ट लिए जाते हैं. पहले कुछ गरीब बच्चों को लेकर शुरुआत करने वाले उकार को काफी संघर्ष करना पड़ा मगर बच्चे सफल होते गए. परिणाम यह रहा कि अब लडकिया भी देश सेवा के लिए आगे आ रही हैं.


110 से अधिक युवाओं को मिली वर्दी
ओंकार यादव द्वारा किये जा रहे निस्वार्थ और निशुल्क प्रशिक्षण से लड़कियों और युवाओं में खासा उत्साह दिखाई दे रहा है. गरीब परिवार के युवा लड़के आज मानते हैं कि यादव सर के कारण ही अब तक इस छोटे से क्षेत्र से 110 से अधिक युवाओं को आर्मी, सीआरपीएफ, बीएसएफ, नेवी, वायु सेना, पुलिस सहित शिक्षक, पटवारी और सचिवों के रूप में भी चयनित हुए है, अब ये सैनिक जम्मू कश्मीर में हो या सियाचीन की बर्फ में, वहां से अपने प्रशिक्षक ओंकार यादव से बात करना नहीं भूलते हैं. अपनी मां के नाम से खोली गई यादव की गंगा एकेडमी में लगभग 25 से 30 किलोमीटर दूर से भी बच्‍चे रोजाना ट्रेनिंग लेने आते हैं.


लड़कियां भी आ रही आगे
शुरुआती दौर में तो केवल युवकों में जुनून था मगर अब गांव की लड़कियों ने भी दम भरा है. लडकियां भी अब ओंकार यादव के पास ट्रेनिंग लेने आ रही हैं. ओंकार लाल ने लड़कियों के मन में भी पुलिस और आर्मी में जाकर देश की सेवा करने का अलख जगाया है. लड़कियों की मानें तो वे भी गांवो की चौका चूल्हा की परिपाटी से बाहर निकलकर अब देश सेवा करना चाहती हैं. लड़कियां भी 2 वर्षो से आ रही हैं और पिछले वर्ष दो बालिकाओं का चयन पुलिस में हो भी गया है.


गरीब परिवार के बच्चों को दिया सहारा
ओंकार लाल बताते हैं कि उनके द्वारा कई गरीब बच्चों को निशुल्क ट्रेनिंग दी है. ऐसे ही तनोड़िया के ही आर्मी में चुने गए रिजवान के बारे में बताते हैं कि उसके पिता साइकिल के माध्‍यम से मनिहारी का सामान बेचकर घर के सदस्‍यों का भरण पोषण करता थे. रिजवान खान के मन में भी बड़े सपने थे. मगर रिजवान और उसके परिवार को दो वक्त की रोटी के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती थी. ऐसे में जवान बच्चे को पढ़ाना और नौकरी के लिए तैयार करना तो ख्वाब ही था. मगर ओंकार लाल यादव में उसे आशा की किरण दिखाई दी एक दिन यादव से चाय की दुकान पर चर्चा हुई और देश सेवा की बात की तो बेटे को आर्मी में भेजने की ठान ली, 2015 के अंत में रिजवान की ट्रेनिंग की शुरूआत हुई और उसका चयन आर्मी में हो गया.


चयनित युवा ओंकार लाल को मानते हैं भगवान
रिजवान जैसे कई और गरीब बच्चे हैं, जिनमें से कोई जानवरों को जंगल में चराने जाता था, तो कोई मिस्त्री के साथ तगारी उठाता था और कोई रोड पर पंचर बनाया करता. आज इनमें से कई युवा सेना और पुलिस में सेवा देकर अपने परिवार को गरीबी से उभारकर दो वक्त की सम्मान जनक रोटी खिला रहे है. अब ये सभी युवा अपने प्रशिक्षक ओंकार लाल यादव को भगवान मानते हैं, जो निशुल्क और निस्वार्थ भाव से युवाओं के भविष्य को संवारकर अपने सपने साकार करने में लगा है. यादव द्वारा तैयार शिष्‍य जब भी गांव आता है तो उनसे मिलने अवश्‍य जाता है, साथ ही उपहार भी लाता है. जो इस शिक्ष‍क को सुकून पंहुचाता है.


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