भोपालः नगर निगम चुनाव में खाता खोलने के बाद अब असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी AIMIM अब एमपी में अपनी सियासी जमीन फैलाने पर फोकस कर रही है. इसी कड़ी में एआईएमआईएम ने अलग-अलग दलों के 50 से ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ा है. इन कार्यकर्ताओं ने एआईएमआईएम की सदस्यता ले ली है. निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद एआईएमआईएम के हौंसले बढ़े हुए हैं और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी नतीजों में चौंका सकती है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हर बूथ पर सदस्य जोड़ने का अभियान शुरू
AIMIM ने आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है. खबर आई है कि एआईएमआईएम ने भोपाल की उत्तर नरेला विधानसभा के हर बूथ पर सदस्यों को जोड़ने का अभियान शुरू कर दिया है. आने वाले दिनों में पार्टी अन्य विधानसभाओं में भी अपने इस अभियान की शुरुआत करेगी. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की इस सक्रियता से कांग्रेस को चिंता हो सकती है. दरअसल एमपी में मुस्लिम वोटबैंक पारंपरिक तौर पर कांग्रेस समर्थक रहा है. अब एआईएमआईएम भी मुस्लिम वोटबैंक (Muslim Votebank) में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में ओवैसी की पार्टी के एमपी में मजबूत होने से कांग्रेस का वोटबैंक खिसक सकता है.


नगरीय निकाय (Nikat Chunav) चुनाव में मिली सफलता
बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए नगरीय निकाय चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 4 वार्ड में जीत हासिल की थी और दो महापौर पद के चुनाव में तीसरे नंबर पर रही थी. साथ ही बुरहानपुर में कांग्रेस की मेयर पद की उम्मीदवार की हार में भी एआईएमआईएम का बहुत बड़ा हाथ था. जिसने बुरहानरपुर में अच्छी खासी संख्या में वोट पाकर कांग्रेस उम्मीदवार की राह मुश्किल कर दी. बीजेपी की माधुरी पटेल ने कांग्रेस की शहनाज बानो को महज 542 वोट से मेयर चुनाव में शिकस्त दी है. 


कांग्रेस को हो सकती है परेशानी
2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में मुस्लिम कुल आबादी के 6.6 फीसदी हैं. प्रदेश कांग्रेस का आरोप भी है कि ओवैसी की पार्टी ने भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए निकाय चुनाव में उतरने का फैसला किया. वहीं एआईएमआईएम ने स्वीकार किया कि नगरीय निकाय चुनाव में उतरने का फैसला काफी देरी से लेने के बाद भी पार्टी को अच्छी खासी सफलता मिली है. असदुद्दीन ओवैसी भी एमपी की राजनीति में खासी दिलचस्पी ले रहे हैं शायद यही वजह है कि वह निकाय चुनाव के दौरान खंडवा, भोपाल, इंदौर, जबलपुर में पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार भी करने आए थे. 


मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में ओवैसी की पार्टी की सक्रियता कांग्रेस की परेशानी बढ़ा सकती है.