Ayodhya Mein Siya Ram: जानिए कौन हैं `योगीराज`? जिसने बाल राम को तराशा, जानें मूर्ति में क्या है सबसे खास
22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला को विराजमान कराया जाएगा. पूरे देश में इसे लेकर तैयारियां जोर पर हैं. वहीं इस बीच बड़ी अच्छी खबर आ रही है कि रामलला की तीन मूर्तियों में से एक मूर्ति का चयन हो गया है.
Ayodhya Mein Siya Ram: 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला को विराजमान कराया जाएगा. पूरे देश में इसे लेकर तैयारियां जोर पर हैं. वहीं इस बीच बड़ी अच्छी खबर आ रही है कि रामलला की तीन मूर्तियों में से एक मूर्ति का चयन हो गया है. कर्नाटक के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज की मूर्ति का चयन किया गया है. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस बात की जानकारी सभी से साझा की है.
केंद्रीय मंत्री ने लिखी ये बात
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने X पर फोटो शेयर करते हुए लिखा ''जहां राम हैं, वहां हनुमान हैं. अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्ति का चयन हो गया है. हमारे देश के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार, हमारे गौरव अरुण योगीराज के द्वारा बनाई गई भगवान राम की मूर्ति अयोध्या में स्थापित की जाएगी. यह राम और हनुमान के अटूट रिश्ते का एक और उदाहरण है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि हनुमान की भूमि कर्नाटक से रामलला के लिए यह एक महत्वपूर्ण सेवा है''
हालांकि तस्वीर में दिखाई गई इस मूर्ति को राम मंदिर में स्थापित किया जाएगा या नहीं इसे लेकर स्पष्ट जानकारी अभी नही हैं.
गौरतलब है कि रामलला की अचल मूर्ति के लिए नेपाल, कर्नाटक, राजस्थान, उड़ीसा के उच्च गुणवत्ता वाले पत्थर ट्रस्ट ने मंगवाए थे. लेकिन जब इन्हें परखा गया तो राजस्थान और कर्नाटक की शिला ही मूर्ति निर्माण के लायक मिली.
क्यों हुआ इस शिला का चयन?
जानकारी के मुताबिक कर्नाटक की श्याम शिला व राजस्थान की मकराना के संगमरमर शिला को इनकी विशेष खासियतों के चलते ही चुना गया है. मकराना बहुत कठोर और नक्काशी के लिए सर्वोत्तम होती है. इसकी चमक सदियों तक रहती है. वहीं श्याम शिला पर नक्काशी काफी आसान होती है. ये शिला जलरोधी होती है. जिसकी उम्र लंबी होती है.
मूर्ति निर्माण के लिए तय हुए ये मानक
पहला- मूर्ति की कुल ऊंचाई 52 इंच हो
दूसरा- प्रभु राम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हो
तीसरा- मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी हो
चौथा - कमल दल पर खड़ी मुद्रा हो
पांचवां - हाथ में तीर और धनुष
छटवां- मूर्ति में बच्चे की कोमलता झलके
कौन हैं अरुण योगीराज
अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर शहर के रहने वाले हैं. अरुण के पिता भी एक बेहतरीन मूर्तिकार है. अरुण की उनकी पांच पीढ़ियां मूर्ति तराशने का काम करती चली आ रही हैं. इसके अलावा पीएम मोदी भी अरुण की प्रतिभा को लेकर उनकी तारीफ कर चुके हैं. अरुण ने अपनी कुशलता का इस्तेमाल कर एक से बढ़कर एक मूर्तियां बनाई है. इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति भी अरुण योगीराज ने ही तैयार की है. अरुण ने साल 2008 में अपने मूर्तिकला के करियर को शुरू किया था.