Bakrid 2022: मुस्लिम धर्म में पवित्र माह रमजान के 70 दिन बाद बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है. इसे ईद-उल-अजहा के नाम से भी जानते हैं. इस साल भारत में बकरीद का त्यौहार 10 जुलाई मनाया जाएगा. बकरीद पर मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा है. आइए जानते हैं बकरीद पर क्यों की जाती है बकरे की कुर्बानी और क्या है इसका महत्व.


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इस्लाम धर्म की मान्यता अनुसार पैगंबर हजरत इब्राहिम ने कुर्बानी देने की प्रथा की शुरुआत की थी. ऐसा माना जाता है कि एक बार अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम से अपने प्यार को साबित करने के लिए अपनी सबसे प्यारी चीज का त्याग करने के लिए कहा था, जिस पर पैगंबर इब्राहिम ने अपने इकलौटे बेटे की कुर्बानी देने का फैसला लिया. पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे को मारने जा रहे थे, उसी वक्त अल्लाह पैगंबर इब्राहिम के बेटे को बकरे के रुप में बदल दिया. उसी समय से मुस्लिम समुदाय के लोग हर वर्ष पवित्र महीना रमजान खत्म होने के 70 दिन बाद बकरीद का त्यौहार मनाते हैं.


हज यात्रा के बाद मनाया जाता है बकरीद
इस्लाम धर्म में जिंदगी में एक बार हज की यात्रा करना जरूरी होता है. हज की यात्रा समाप्त होने के बाद ईद-उल-जुहा यानी बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है. बकरीद के त्यौहार को बड़ी ईद के नाम से भी जाना जाता है. बकरीद में नर बकरे की कुर्बानी दी जाती है. बकरे की कुर्बानी देने के बाद से इसे तीन भागो में बांटा जाता है, पहला भाग रिश्तेदारों, दोस्तों व आस-पास के करीबियों को दिया जाता है. दूसरा हिस्सा गरीब और जरूरतमंदो को दिया जाता है और तीसरा हिस्सा परिवार के लोगों के लिए होता है.


बकरीद का महत्व
मुस्लिम मजहब की मान्यता अनुसार हजरत मोहम्द साहब का आदेश है कि कोई व्यक्ति जिस भी जगह रहता है उस व्यक्ति का फर्ज है की मुल्क और परिवार की रक्षा के लिए बकरीद पर नर बकरे की कुर्बानी देनी चाहिए. बकरीद के त्यौहार पर मुस्लिम बाहुल्य इलाके वाले बाजारों में रौनक बढ़ जाती है. मुस्लिम समाज के लोग इस त्यौहार के लिए बाजार से बकरे, नए कपड़े, सेवईयां और खजूर की खरीददारी करते हैं. 


(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न लेखों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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