Saraswati Puja Aarti Mantra And Vandana: हिंदू धर्म में बसंत पंचमी के त्यौहार का विशेष महत्व है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा आराधना करने मात्र जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि मां भक्त बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करता है. उस पर मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं और उन्हें मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. वहीं ज्योतिष की मानें तो इस दिन कुछ मंत्र (saraswati mantra) और आरती (saraswati mata aarti) ऐसे हैं, जिनके बिना मां सरस्वती की पूजा अधूरी रह जाएगी और उन्हें संकंटों का सामना करना पड़ेगा. ऐसे में आइए जानते हैं मां सरस्वती की पूजा विधि, मंत्र, आरती, वंदना और शुभ मुहूर्त.


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बसंत पचंमी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 25 जनवरी की दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से शुरू हो गई है. जिसका समापन 26 जनवरी की सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर होगी. हिंदू धर्म में उदयातिथि सर्वमान्य होती है. इसलिए बसंत पंचमी का त्यौहार 26 जनवरी को मनाया जाएगा. इस मां सरस्वती की पूजा करने का शुभ समय 26 जनवरी की सुबह 07 बजकर 12 मिनट से लेकर 12 बजकर 34 मिनट तक है. 


इस विधि से करें मां सरस्वती की पूजा
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पीतांबरी धारण करें. इसके बाद मां सरस्वती की प्रतिमा पर पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें. अब आप पुष्प, मिठाई, फल, रोढ़ी, चंदन, अक्षत इत्यादि पूजन सामग्री चढ़ाएं. साथ ही मां सरस्वती को वाद्य यंत्र और किताब अर्पित करें. अब आप एक माला 'ओम् ऐं सरस्वत्यै  नम:' मंत्र का जाप करें. साथ ही नीचे दिए वंदना से मां सरस्वती की आराधना करें-


या कुंदेंदुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता। 
या वीणा वर दण्डमण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।
या ब्रहमाऽच्युत शंकर: प्रभृतिर्भि: देवै: सदा वन्दिता। 
सा मां पातु सरस्वती भगवती, नि:शेषजाड्यापहा।।  


इसके साथ ही मां सरस्वती का ध्यान करते हुए उनकी आरती करें-


सरस्वती माता की आरती (saraswati aarti)  


आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।
 आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।


जाकी कृपा कुमति मिट जाए, सुमिरन करत सुमति गति आये।
शुक सनकादिक जासु गुण गाये, वाणि रूप अनादि शक्ति की।


आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।
नाम जपत भ्रम छूट दिये के, दिव्य दृष्टि शिशु उधर हिय के।


मिलहिं दर्श पावन सिय पिय के, उड़ाई सुरभि युग-युग, कीर्ति की।


आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।
रचित जासु बल वेद पुराणा, जेते ग्रन्थ रचित जगनाना।


तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना, जो आधार कवि यति सती की।
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।


सरस्वती की वीणा-वाणी कला जननि की।
आरती कीजै सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।।


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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)