भिलाई: एशिया के सबसे बड़े इस्पात संयंत्र भिलाई स्टील प्लांट के अधीनस्थ रूस और भारत के मैत्री के प्रतीक मैत्रीबाग जू वाइट टाइगर के लिए जाना जाता है. इस मैत्री बाग से एक खुशखबरी आई है. वाइट टाइगर की संख्या लगातार देश में तो वैसे घट रही है लेकिन भिलाई के मैत्री बाग में 3 महीने पहले एक साथ 3 वाइट टाइगर का जन्म हुआ था. जिसके बाद आज पहली बार उन नन्हें शावकों को बाहर निकाला गया और आज इनका नामकरण भी किया गया. 


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बता दें कि देश में लगातार घटती वाइट टाइगर की संख्या एक बड़ी चिंता का विषय बनी हुई थी. दुर्ग के मैत्री बाग में भी एक-एक कर वाइट टाइगर की मौत के साथ संख्या घटते जा रही थी. इस बीच सुल्तान और रक्षा के साथ बीडींग करवाई गई. जिसका परिणाम यह निकला कि 28 अप्रैल को वाइट टाइगर का कुनबा बढ़ गया है. रक्षा ने एक साथ 3 नन्हें शावकों को जन्म दिया. डेढ़ माह तक नन्हें शावक को विशेष निगरानी में रखा गया और जब सब कुछ बेहतर और उचित पाया गया तो नन्हें शावकों को उसकी मां रक्षा के साथ केज में रखा गया.


नन्हें शावकों का समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण किया गया लेकिन मैत्री बाग प्रबंधन के सामने एक बड़ी समस्या यह थी कि इन तीनों नन्हें शावकों का नाम क्या होगा? बहरहाल मैत्री बाग प्रबंधन ने आम जनता से अपील की कि वह इन तीन नन्हें व्हाइट टाइगर का नाम सुझाए. ऐसे में 400 से ज्यादा लोगों ने तीनों नन्हें शावकों का नाम सुझाया और आज आजादी के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर तीनों नन्हें शावकों को आजाद कर उन्हें केज के बाहर निकाला गया.


जानिए क्या रखा गया नाम
मैत्री बाग प्रबंधन के अधिकारियों और कर्मचारियों ने नारियल फोड़ नन्हें शावकों की पूजा की और एक दूसरे को मिठाई खिलाई. तीनों नन्हें सफेद शावकों का नाम रुस्तम, राणा और बॉबी रखा गया है. तीनों ही केज के बाहर निकलते ही अपनी मां के साथ खेलते दिखाई दिए. तीनों बच्चे फिलहाल स्वस्थ हैं और मैत्री बाग प्रबंधन उनका पूरा ख्याल भी रख रहा है. अब आम पर्यटक भी अब इन्हें देख सकते है.


बता दें कि भारत के व्हाइट टाइगर में से लगभग आधे भिलाई के ही मैत्रीबाग की देन है. देश के अधिकतर जू में सुल्तान और रोमा सहित रक्षा के वंशज हैं. इस तह मैत्री गार्डन में अब कुल सफेद शेरों की संख्या 09 हो चुकी है. साल 1972 में सोवियत रूस और भारत की मैत्री के प्रतीक के रूप में मैत्रीबाग शुरू किया गया था. 


रिपोर्ट - हितेश शर्मा