प्रदीप शर्मा/भिंडः जलीय जीवों के लिए संरक्षित चंबल नदी से शिकार कर बिक्री के लिए ले जाई जा रही मछलियों को वन विभाग की टीम ने पकड़ा है. साथ ही दो मछली तस्करों को भी गिरफ्तार किया है. शिकारियों के पास से वन विभाग को मिली मछलियों की बाजारी कीमत एक लाख रुपए के करीब है. बता दें कि यह मछलियां डॉल्फिन और घड़ियाल की खुराक होती है.


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जलीय जीवों के लिए संरक्षित है ये क्षेत्र
दरअसल श्योपुर से लेकर भिंड तक 400 किलोमीटर चंबल नदी का क्षेत्र जलीय जीवों के लिए बीते कई दशकों से संरक्षित घोषित किया गया है, यहां पर घड़ियाल,डॉल्फिन, मगरमच्छ, कछुआ जैसे कई जलीय जीवों का इसी चंबल नदी में प्रजनन होता है. जिसके लिए सरकार द्वारा तैनात वन विभाग और चंबल सेंचुरी की टीमें लगातार जली जीवों की तस्करी और चंबल नदी से अवैध रेत के खनन पर नजर बनाए रखते हैं.


पकड़ी गई मछलियों की कीमत एक लाख
आज वन विभाग अंबाह गेम रेंजर मुन्नीलाल भलावी को मुखबिर से सूचना मिली थी कि चंबल नदी से बड़ी मछलियों का शिकार कर उनको एक लोडिंग गाड़ी के माध्यम से ग्वालियर परिवहन किया जा रहा है. सूचना पर वन विभाग की टीम ने नाकाबंदी की और हाईवे 719 पर मेहगांव मंडी तिराई के पास संदिग्ध लोडिंग गाड़ी रोककर चेक की गई तो उसमें आइस बॉक्स और बोरों में भरी हुई चंबल नदी से शिकार कर लाई गई बड़ी मछलियां बरामद की गई, जिनकी बाजार कीमत लगभग एक लाख रुपये आंकी गई है.


आसपास के रहगीर करते हैं मछलियों का शिकार
वन विभाग की टीम ने मछलियों को जप्त कर मुरैना लैब जांच के लिए भेज दिया है. गिरफ्तार दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश करने के लिए वन विभाग की टीम ले गई है, मछलियों के अवैध व्यापार करने वाले आरोपी ने बताया कि नदी के आसपास रहने वाले लोग ही शिकार कर मछलियों को बेचते हैं, वह उन्हीं से खरीद कर ग्वालियर सप्लाई करने ले जा रहा था, अगर आरोपी की बात को सही मानें तो स्थानीय ग्रामीण अगर मछलियों का शिकार कर बेच रहे हैं, तो वन विभाग और चंबल सेंचुरी की टीम आखिर क्या कर रही है, क्योंकि चंबल में यही मछलियां डॉल्फिन ओर घड़ियाल की खुराक होती हैं, अगर उनकी खुराक की कमी हो गई तो डॉल्फिन ओर घड़ियाल कैसे जिंदा रह पाएंगे.


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