Unique Mata Temple: एमपी का वह मंदिर जहां देवी मां को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं जाते हैं जूते-चप्पल!
Siddhidatri Temple Bhopal: अभी तक आपने कई ऐसे मंदिरों के बारे में देखा या सुना होगा जहां पर अक्सर चमत्कार होता रहता है. मंदिरों में भक्त मन्नत पूरी होने के बाद उन्हें प्रसाद, चुंदरी इत्यादि चढ़ाते हैं. लेकिन आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां पर मनोकामना पूरी होने पर देवी मां को जूते-चप्पल चढ़ाएं जाते हैं.
भोपालः अभी तक आप किसी भी धार्मिक स्थल या मंदिर पर गए होंगे तो मंदिर में प्रवेश करने से पहले जूत-चप्पल बाहर उतारकर जाते होंगे. लेकिन आज हम आपको देवी मां के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहें हैं, जहां पर माता जी को प्रसाद के रूप में जूते-चप्पल चढ़ाया जाता है. आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा मंदिर जहां जूते चप्पल चढ़ाया जाता है तो आइए जानते हैं इस मंदिर में जूते-चप्पल चढ़ाने के रहस्य और महत्व के बारे में...
दरअसल हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कोलार क्षेत्र में के पहाड़ी में स्थित सिद्धिदात्री मंदिर की, इस मंदिर को जीजाबाई के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर में देवी मां की पूजा बेटी के रूप में की जाती है. यहां आने वाले भक्त देवी मां को प्रसाद के रूप में नई-नई चप्पले चढ़ाते हैं. इस मंदिर में मां के भक्त विदेशों से भी नये-नये जूते सैंडिल भेजते हैं.
बेटी के रूप में होती है पूजा
कोलार की पहाड़ी पर स्थित मां सिद्धिदात्री के मंदिर की स्थापना ओम प्रकाश महाराज ने करीब 30 साल पहले की थी. इस मंदिर में पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 300 सीढ़ी चढ़कर पहाड़ी पर पहुंचना पड़ता है. इस मंदिर को लोग जीजाबाई मंदिर भी कहते हैं. मंदिर की स्थापना करने वाले ओम प्रकाश महाराज के अनुसार वे इस मंदिर की स्थापना से पहले शिव पार्वती का विवाह कराएं थे. विवाह में उन्होनें पार्वती जी को खुद कन्यादान दिया था. इसलिए पंडित ओम प्रकाश जी महाराज बेटी मानकर पूजा करते हैं.
जानिए क्या है मान्यता
इस मंदिर में मां के भक्त भोपाल के कोने-कोने से आते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर मां को नई चप्पल, सैंडल, चश्मा, गर्मियों के कैप और घड़ी चढ़ाने से देवी मां प्रसन्न होती है और अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. मां के कई भक्त विदेश से मैया के लिए जूते चप्पल भेजते हैं. इस मंदिर में पूरे साल समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान का कार्यक्रम चलता रहता है. मंदिर में माता रानी को हर रोज नई नई पोशाक पहनाई जाती है.
ये भी पढ़ेंः Sarva Pitri Amavasya: कब है पितृ विसर्जन, जानिए कैसे करें पितरों की विदाई?
(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न लेखों में दी गई जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)