MP में गेमचेंजर वोटबैंक पर कांग्रेस की नजर, कमलनाथ ने तैयार किया मास्टर प्लान
मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने तैयारियां तेज कर दी है. कांग्रेस की नजर प्रदेश के 15 फीसदी वोट बैंक पर है, क्योंकि यह वोट प्रदेश की सत्ता के लिए राजतिलक करने के लिए अहम माना जाता है. ऐसे में कांग्रेस का फोकस अब इस वोट बैंक पर भी है, जो 2018 के विधानसभा चुनाव में अहम साबित हुआ था.
प्रमोद शर्मा/भोपाल। मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. कांग्रेस और बीजेपी और हर उस वर्ग को साधने में जुट गई हैं, जो प्रदेश की सियासत में अहम साबित होता है. क्योंकि देश में जैसे ही कोई राज्य चुनाव की तरफ बढ़ता है, वहां जातिगत समीकरणों की बात हमेशा शुरू हो जाती है, कांग्रेस प्रदेश के ऐसे ही एक बड़े वोट बैंक को साधने की तैयारी शुरू कर दी है. क्योंकि यह 15 प्रतिशत वोट बैंक प्रदेश की सत्ता में गेमचेंजर माना जाता है, राजनीतिक जानकारों का तो यहां तक मानना है कि इस 15 प्रतिशत वोट बैंक की वजह से ही 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी बहुमत से दूर रह गई थी. ऐसे में कांग्रेस की नजर अभी से इस वोट बैंक पर है. तो बीजेपी भी इस बात से अनजान नहीं है.
ब्राह्मण वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर
दरअसल, कांग्रेस की नजर प्रदेश के 15 प्रतिशत ब्राह्मण वोट बैंक पर है. ऐसे में कांग्रेस अब अपनी सियासी कस्ती को 2023 में किनारे लगाने के लिए 15 फीसदी वोटरों को साधने की तैयारी में. जिसकी एक झलक देखने तब मिली जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम कमलनाथ ब्राह्मणों के आदिदेव भगवान परशुराम की स्थली जानापाव पहुंचे और पूजा पाठ की. जबकि अब कमलनाथ ने पार्टी के कुछ शीर्ष ब्राह्मण नेताओं को इस वोट बैंक को साधने की जिम्मेदारी दी है.
निर्णायक वोट बैंक
बता दें कि मध्य प्रदेश की सियासत भी कास्ट पॉलिटिक्स के लिए पहचानी जाती है. एमपी में भाजपा को जिस तरह से ब्राह्मण लीडरशिप सत्ता के शिखर पर बनाने में सहायक सिद्ध हुई है, उसी से कमलनाथ सीख लेकर कमलनाथ इस मामले में पूरी तरह से सतर्क नजर आ रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि एमपी में ब्राह्मण वोटर 15 फीसदी हैं और अब तक के सियासी इतिहास को देखे तो मध्य प्रदेश में ये 15 फीसदी वोटर निर्णायक और सत्ता का तिलक लगाने वाले सिद्ध हुए है.
कांग्रेस ने इन नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी
खास बात यह है कि बीजेपी के पास आज ब्राह्मण वर्ग से आने वाले नेताओं की बड़ी लॉबी है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मंत्री नरोत्तम मिश्रा और गोपाल भार्गव की पहचान प्रदेश में बीजेपी के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में हैं, जो अब तक जो ब्राह्मणों को भाजपा से इस वर्ग को कनेक्ट करने में सहायक सिद्ध हुए है. ऐसे में कांग्रेस अब भी अब विवेक तन्खा, सुरेश पचौरी, तरुण भनोत, पीसी शर्मा को आगे कर अपने प्लान में जुट गई है. इसके अलावा कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों में इस वर्ग से आने वाले विधायकों की संख्या भी अच्छी खासी है.
कमलनाथ गए थे परशुराम जन्म स्थली
पिछले दिनों कमलनाथ इंदौर जिले में आने वाली भगवान परशुराम की स्थली कहे जाने वाले जानापाव भी पहुंचे थे. इस दौरान कांग्रेस के बड़े नेता भी उनके साथ मौजूद थे. यही वजह है कि अब कमलनाथ ने विवेक तन्खा, सुरेश पचौरी, तरुण भनोत, पीसी शर्मा के जरिए इस वोटबैंक को साधने की जिम्मेदारी सौंपी है. कमलनाथ के इस प्लान को भाजपा की ब्राह्मण फौज की काट के तौर पर देखा जा रहा है.
कांग्रेस ने खुद को बताया ब्राह्मण हितेषी
ब्राह्मणों को लेकर कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि ''ब्राह्मण वर्ग की असली हितेषी कांग्रेस पार्टी रही है, 2023 में हम इस बार ब्राह्मणों को पूरी तरह से कांग्रेस से कनेक्ट कर लेंगे. कांग्रेस पार्टी का एमपी में 2023 में सत्ता का राजतिलक ब्राह्मण करेंगे क्योंकि कांग्रेस हमेशा इस वर्ग की हितेषी रही है. सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण देने का मामला हो या फिर पुजारियों का मानदेय बढ़ाने का मामला हो कांग्रेस पार्टी ब्राह्मणों के बीच में जा रही है और उनका सम्मान कर रही है.''
बीजेपी का पलटवार
वहीं कांग्रेस पर बीजेपी ने भी पलटवार करने में देर नहीं लगाई बीजेपी नेता राकेश शर्मा ने कहा कि ''कांग्रेस पार्टी जब सत्ता में रहती है तो ब्राह्मणों की याद नहीं आती है, सत्ता में रहते हुए मुस्लिम फर्स्ट की बात कहते हैं, विपक्ष में आते ही ब्राह्मणों की याद आ जाती है, ब्राह्मणों के लिए सबसे ज्यादा हितेषी काम एमपी की शिवराज सरकार ने किया है. चाहे परशुराम जी को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने का मामला हो या पुजारियों का मानदेय बढ़ाने का मामला हो या आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को लाभ देने का मामला हो ये सब काम शिवराज सरकार में हुए हैं. ब्राह्मण भाजपा के साथ हैं, कांग्रेस कितना भी ढोंग कर ले ब्राह्मण गुमराह होने वाले नहीं है. ''
दरअसल, दोनों ही पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं. लेकिन इस बडे़ वोट बैंक पर अब दोनों ही पार्टियों की नजर है. क्योंकि जिस भी पार्टी को इस वोट बैंक का फायदा मिला, प्रदेश में उसका राजतिलक होना तय माना जाता है.