Bundelkhand Tourism: पन्ना। मध्य प्रदेश में वन संपदा, वन्यजीव के साथ-साथ प्रकृति के लिए कई सारे काम किए जाते रहे हैं. इसी का परिणाम है कि यहां भारी मात्रा में जंगल और जीव है. इसके साथ ही पर्यटन स्थल भी प्रदेश में भारी मात्रा में है. इसी क्रम में एक और प्रयास हो रहा है राज्य के बुंदेलखंड इलाके को सौगात देकर. यहां गंगेटिक घड़ियालों को घर बसाने यानी उनकी आबादी बढ़ाने के लिए कोशिश हो रही है. इस कारण केन नदी पर 450 किमी का सर्वे AI की मदद से हो रहा है.


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बुंदेलखंड को बड़ी सौगात
नेचर टूरिज्म और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में बुंदेलखंड को बड़ी सौगात मिली है. केन नदी में गंगेटिक घड़ियालों का ब्रीडिंग सेंटर बनेगा. इसके लिए एआई की मदद से 450 किमी लंबी नदी का सर्वे शुरू हो गया है. केन नदी में केंद्र सरकार सबसे आधुनिक घड़ियाल ब्रीडिंग सेंटर बनाने जा रही. पन्ना में भारत का पहला वाइल्ड लाइफ इंटीग्रेटेड लर्निंग एंड रिसर्च सेंटर भी बनेगा. इसे बुंदेलखंड के साथ पन्ना के लिए बड़ी सौगात माना जा रहा है.


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टाइगर की तरह बसेंगे खड़ियाल
देहरादून की भारतीय वन्यजीव संस्थान, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए 450 किमी लंबी केन नदी का सर्वे कर रही है. इसमें घड़ियालों की मौजूदगी और प्राचीन हेबिटेट खोजे जाएंगे. कहा जा रहा है पन्ना में जैसे टाइगर खत्म होने के बाद फिर से बसाए गए हैं. ठीक वैसे ही अब घड़ियालों को बसा लिया जाएगा.


क्या है प्रोजेक्ट?
इस पूरे कार्यक्रम के प्रभारी रमेश कुमार ने एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए बताया कि ग्रेटर पन्ना लैंडस्कैप प्लान में घड़ियालों की पुनर्स्थापना की जानी है. इसके लिए वर्ष 2008 में पन्ना में टाइगर बसाए गए थे. ठीक वैसे ही अब 10 साल के भीतर घड़ियालों बसाए जाएंगे.


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कैसा है सर्वे प्लान?
केन में घड़ियाल पुनर्स्थापना प्रोजेक्ट में ड्रोन सर्वे में 10 घड़ियालों की मौजूदगी पता चला है. इस कारण कटनी से लेकर बांदा तक ड्रोन सर्वे हो रहा है. इससे अब एआई तकनीक से लैस उपकरणों की मदद से पानी के भीतर भी तस्वीरें ली जा रही हैं. जिस ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है ये 7 किमी दूर तक जाकर और 5 सेंटीमीटर तक की चीजों को मॉनिटर करता है. इस कारण इसकी मदद से मौके की बेहद सटीक जानकारी मिल रही है.