MP NEWS: गौरैया को बचाने के लिए घर-घर में मुहिम, युवाओं और बच्चों ने उठाया यह बीड़ा
Khargone News: एक समय था जब सुबह-सुबह गौरैया हमारे आंगन में चहचहाती थी, लेकिन अब न गौरैया दिखती हैं और न उसकी चहचहाहट सुनाई देती है. उनकी संख्या कम होती जा रही है. ऐसे में उनके संरक्षण करने का मिशन खरगोन जिले की श्वेता केसरे ने उठाया है. वे आठ सालों से इस मुहिम से जुड़ी हैं और अब तक उन्होंने सैकड़ों पक्षियों के लिए बोर्ड होम बना बनाए हैं.
Madhya Pradesh News: हमारे आंगन में वह मीठी सी गौरैया की चहचहाहट आवाज इन दिनों मानो कहीं गुम सी गई है. घरों की छत पर आंगन में हमनें इस प्यारी सी चिड़िया को फुदकते हुए देखा है. जिन गौरैया की चहचहाहट सुनकर हमारा बचपन बीता था, कहीं ऐसा ना हो कि आने वाली पीढ़ी केवल उन्हें अपने फोन में ही देख पाए. मोबाइल रेडिएशन, बढ़ती गर्मी और हमारी बदलती जीवनशैली इन पक्षियों की संख्या को सीमित करती जा रही है. ऐसे में उसे संरक्षण करने का जिम्मा उठाया है खरगोन जिले के श्वेता केसरे ने. बता दें की श्वेता केसरे आठ साल से अपने घर के आंगन में बर्ड होम बनाकर इन्हें संरक्षित करने की कोशिश कर रही हैं.
श्वेता बताती हैं कि आठ साल पहले उनके घर में आई एक चिड़िया को बचाने के बाद से उन्होंने यह मुहिम शुरु की. अब तक जारी इस मुहिम के चलते श्वेता के आंगन में सैकड़ों चिड़िया चहचहाहट कर रही है. उन्होंने अपने घर के आंगन में 70 अलग-अलग प्रकार के बोर्ड होम बनाए हैं. अलग-अलग स्थानों पर पानी के लिए मिट्टी के सकोरे और दाना चुगने के लिए मिट्टी के पात्र रखे हैं. जिसमें गौरैया के साथ अन्य और भी पक्षी आते हैं.
बोर्ड होम बनाकर देती हैं श्वेता
खासतौर से बोर्ड होम जो कि जमीन पर या कम ऊंचाई पर रखा है उन पर ज्यादा पक्षी आते हैं. श्वेता को देखकर आस पास के लोगों ने भी गौरैया को संरक्षण के मुहिम में जुट गए हैं. श्वेता ने अब तक लोगों को सैकड़ों बोर्ड होम बनाकर दिए हैं. श्वेता कहती हैं कि जब लोग चिड़ियों के साथ फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं तो लगता है मिशन सार्थक हो रहा है.
बच्चे भी हुए मुहिम में शामिल
श्वेता की ही तरह खरगोन के सुरती नगर की आयुषी, ओशी और अक्षत ने अपने घर की मुंडेरों पर सकोरे और दाना चुगने के पात्र रखे हैं, जिससे गौरैया और अन्य पक्षी दाना-पानी चुगते हैं. अक्षत 12 वर्ष का है मगर चिड़िया कम दिखाई देना उसे चिंतित करता है. उसने लोगों से इसे संरक्षित में प्रयास करने की अपील की है.
दिल्ली का राष्ट्रीय पक्षी है गौरैया
बता दें कि अगस्त 2012 को गौरैया को दिल्ली का राजकीय पक्षी घोषित किया गया था. इसके तहत गौरैया के संरक्षण के लिए कई अभियान चलाए गए. आंध्र के पक्षी यूनिवर्सिटी के अनुसार चिड़ियों की आबादी पहले से 60 फीसदी घटी है. मात्र तीन वर्ष अल्प जीवन वाली इस गौरैया (चिड़िया) को संरक्षित करने की आवश्यकता है. इनकी रंग-बिरंग प्रजाति भी खासी खूबसूरत लगती है. शहरी इलाकों में गौरैया की छह तरह ही प्रजातियां पाई जाती हैं. ये हैं हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो.
रिपोर्ट: राकेश जायसवाल, खरगौन