MP में फिर उठे प्रोजेक्ट चीता के मैनेजमेंट पर सवाल, खाली पड़े हैं कई पद
MP News: मध्य प्रदेश में चीता प्रोजेक्ट को लेकर एक बार फिर सवाल उठे हैं. सरकारी विभागों के बीच समन्वय की कमी के चलते कई पद खाली पड़े हुए हैं.
MP News: मध्य प्रदेश में 17 सितंबर 2022 को चीते लाए गए थे. कल इस प्रोजेक्ट को दो साल पूरे हो जाएंगे. पूरे सात दशक बाद भारत में चीतों का बसाया गया था. लेकिन एक बार फिर प्रोजेक्ट चीता के मैनेजमेंट और संचालन पर कुछ सवाल उठाए गए हैं. मध्य प्रदेश के महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार कूनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रोजेक्ट चीता के मैनेजमेंट में कई तरह की समस्याएं हैं. रिपोर्ट में केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के बीच उन्होंने बेहतर कॉर्डिनेशन में कमी बताई है. उनके अनुसार सरकारी विभागों के बीच सहयोग और कॉर्डिनेशन की कमी है. जिससे प्रोजेक्ट के मैनेजमेंट में दिक्कतें आ रही हैं.
कूनो में रहते हैं चीतें
महालेखाकार की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अफ्रीका से चीतों के आगमन के बावजूद 2020-2030 के लिए तैयार पार्क की मैनेजमेंट योजना में चीतों की वापसी का कोई उल्लेख नहीं है. इस बारे में पूछे जाने पर मुख्य वन संरक्षक और लायन प्रोजेक्ट के डायरेक्टर उत्तम शर्मा ने कहा कि ऑडिट रिपोर्ट पर जवाब दे दिया गया है. बता दें कि कूनो नेशनल पार्क में सभी चीते रहते हैं.
एशियाई शेरों के सुधार के लिए नहीं उठाया गया कदम
अगस्त 2019 से नवंबर 2023 तक के समय में क्या कुछ हुआ इसको ऑडिट ने अच्छे से कवर किया है. इस ऑडिट में देखा गया है कि कूनो वन्यजीव प्रभाग और ग्राउंड स्टाफ को चीता रिलोकेट प्रोजेक्ट में शामिल नहीं किया गया था. कूनो अभ्यारण को पहले एशियाई शेरों के लिए एक ऑप्शनल जगह के रूप में रखा गया था. लेकिन इस समय के दौरान एशियाई शेरों के सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. वहीं 2021-22 से 2023-24 (जनवरी 2024 तक) के दौरान चीता प्रोजेक्ट पर 44.14 करोड़ रुपये खर्च किए गए. लेकिन यह खर्च प्रबंधन योजना के अनुसार नहीं था.
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43 पद अभी भी खाली पड़े
रिपोर्ट के अनुसार, 28 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अफ्रीकी चीतों के लिए एक सही स्थान का चयन करने के लिए एक पैनल का गठन किया था. लेकिन उस समय यह तय नहीं था कि चीतों का ट्रांसफर केवल कूनो राष्ट्रीय उद्यान में ही किया जाएगा या नहीं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 255 पद स्वीकृत किए गए थे. लेकिन इनमें से 43 पद अभी भी खाली हैं. इन खाली पदों की वजह से जानवरों के प्रबंधन में समस्याएं आ सकती हैं और उनकी देखभाल ठीक से नहीं हो पाएगी.
ट्रेनिंग और पैसा दोनों बर्बाद
रिपोर्ट में बताया गया है कि कूनो वन्यजीव प्रभाग के पूर्व अधिकारी प्रकाश कुमार वर्मा को चीता मैनेजमेंट की ट्रेनिंग के लिए दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया भेजा गया था. लेकिन ट्रेनिंग के कुछ दिनों बाद उन्हें दूसरे स्थान पर भेज दिया गया. जिससे उनका ट्रेनिंग बेकार हो गया और इसके लिए किया गया खर्च भी व्यर्थ हो गया. भारत में चीता प्रोजेक्ट के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों को कम से कम पांच साल तक वहीं रहना चाहिए था जहां उन्होंने ट्रेनिंग ली थी.
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