पर्यटकों के लिए अच्छी खबर, कूनो नेशनल पार्क में फिर खुले छोड़े जाने लगे चीते
Best Places To Visit In Winter: श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए एक अच्छी खबर है. हिंदुस्तान की धरती पर विदेशों से लाकर दोबारा बसाए गए चीतों को अब लंबे इंतजार के बाद पर्यटक खुले जंगल में रफ्तार भरते हुए निहार सकेंगे.
Kuno National Park: श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए एक अच्छी खबर है. हिंदुस्तान की धरती पर विदेशों से लाकर दोबारा बसाए गए चीतों को अब लंबे इंतजार के बाद पर्यटक खुले जंगल में रफ्तार भरते हुए निहार सकेंगे. कूनो नेशनल पार्क घूमने के लिए आने वाले पर्यटक अब चीतों का दीदार आसानी से कर सकेंगे.
पर्यटकों को चीतों का दीदार हो सके इसके लिए कूनो नेशनल पार्क में एक बार फिर से चीतों को खुले जंगल में दौड़ने के लिए बाड़े की कैद से आजाद किया जा रहा है. करीब 100 दिनों से ज्यादा समय से एक शावक सहित 15 चीते कूनो के बड़े बाड़े में चीता विशेषज्ञों को निगरानी में रखे गए थे और सभी चीतों के स्वस्थ्य और बेहतर होने के चलते कूनो नेशनल पार्क प्रशासन ने इन्हें खुले जंगल में छोड़ने का फैसला कया है.
आज खुले जंगल में छोड़े गए 2 चीते
चीता स्टेयरिंग कमेटी की हरी झंडी मिलने के बाद रविवार देर शाम कूनो पार्क प्रबंधन ने मेडिकल चेकप के बाद दो नर चीतों को बड़े बाड़े की कैद से अहेरा पर्यटन जॉन के पारोंद वन इलाके में आजाद किया. इन चीचों को खुले जंगल की सैर करने के लिए रिलीज किया. खुले जंगल में छोड़े गए दोनों नर चीतों के नाम आग्नि और वायु हैं जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं. बता दें कि नेशनल पार्क में बसाए गए चीतों की लगातार मौत के बाद बाकी चीतों को निगरानी में रखा गया था.
जल्द खुलें जंगल में छोड़े जाएंगे और चीते
जंगल में छोड़े गए दोनों चीते साउथ अफ्रीका से लाए गए थे. कूनो नेशनल पार्क के बाहर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पहली बार कुनो फॉरेस्ट फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. इस फेस्टिवल में शामिल होने आने वाले पर्यटकों को चीतों का दीदार हो सके, जिसके लिए अब चीतों को खुले जंगल में छोड़े जाने की कवायद शुरू कर दी गई है. रविवार को दो नर चीतों को खुले जंगल में छोड़े जाने के बाद कुनो प्रबंधन चीता स्टेयरिंग कमेटी के सदस्यों की सहमति के बाद एक एक करके और भी चीतों को जल्द ही खुले जंगल में आजादी से दौड़ने के लिए छोड़ सकता है.
रिपोर्ट: अजय राठौर, ग्वालियर