मंत्रियों को चाहिए मनपसंद अफसर, सरकार ने नहीं दी सहमति तो करवा रहे बेकडोर एंट्री
MP News: मोहन सरकार के मंत्रियों को अपने स्टाफ में पसंदीदा और अनुभवी अधिकारियों को रखने की चाहत है, लेकिन सरकार नए स्टाफ की नियुक्ति करना चाहती है, जिससे यह मामला भी दिलचस्प होता जा रहा है.
MP Politics: सत्ता और प्रशासन एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं, जहां दोनों के समन्वय से ही सरकार कामकाज करती है. कई बार सरकार के जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों में ऐसा तालमेल बनता है कि फिर साथ काम करना आसान हो जाता है. मध्य प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है, जहां मोहन सरकार के मंत्रियों को अपने स्टाफ में पुराने और अनुभवी अधिकारियों की दरकार है. एक मीडिया हाउस में लगी रिपोर्ट के मुताबिक मोहन सरकार के 21 मंत्रियों को अब तक अपने निज और विशेष सहायक नहीं मिले हैं. जबकि बताया जा रहा है कि मंत्रियों ने जनवरी के महीने में ही सरकार के पास नियुक्ति की नोट शीट भेज दी थी.
बैक डोर से एंट्री
दरअसल, सरकार चाहती है कि मंत्रियों के स्टाफ में नयी नियुक्तियां की जाए लेकिन मंत्रियों की पसंद पुराने ही अधिकारी है. ऐसे में बताया जा रहा है कि जिन अधिकारियों की सिफारिश मंत्रियों ने अपने स्टाफ के लिए भेजी थी, उनके लिए भले ही सरकार की तरफ से अनुमति नहीं मिली हो, लेकिन बगैर सरकारी आदेश के ही ज्यादातर अधिकारी मंत्रियों के स्टाफ में ही काम कर रहे हैं. यानि अधिकारियों को बैक डोर से एंट्री मिली है. कुछ अधिकारी पदस्थ तो अपने विभाग में हैं, लेकिन वह काम मंत्री के लिए कर रहे हैं. जबकि कुछ ने प्रतिनियुक्ति का फॉर्मूला अपनाते हुए मंत्रियों के स्टाफ में जगह बना ली है.
सरकार क्यों चाहती है नए अधिकारी
मोहन सरकार अब मंत्रियों के के स्टाफ में नए अधिकारियों की नियुक्ति चाहती है. बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से सरकार को यह आदेश दिए गए हैं कि मंत्रियों के स्टाफ में पुराने की जगह नए अधिकारियों की नियुक्तियां की जाए. ऐसे में जैसे ही यह आदेश आया है तो सरकार ने सभी नियुक्तियों पर रोक लगा दी. इसके अलावा एक और वजह भी बताई जा रही है. दरअसल, नई सरकार के गठन के बाद नए मंत्रियों के स्टाफ की शुरुआत हुई थी. मंत्रियों ने अपने पसंदीदा अधिकारियों की नियुक्तियां करवानी शुरू कर दी. लेकिन इस बीच मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के स्टाफ में दागी ओएसडी की नियुक्ति की बात सामने आई, उनके स्टाफ में श्रम लक्ष्मी प्रसाद पाठक को ओएसडी बनाया गया था, जो भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाए गए थे. ऐसे में जब सरकार को यह बात पता चली थी तो तुरंत एक-एक अधिकारियों की पूरी जानकारी निकाली गई. जिसके चलते इस मामले में रोक लगा दी गई थी.
नियुक्ति के लिए नए पेरामीटर
मंत्रियों के स्टाफ में अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर सरकार ने कुछ नए पेरामीटर बना दिए हैं. जिसमें सबसे पहला यह है कि अगर कोई अधिकारी पहले कभी किसी मंत्री के स्टाफ में नहीं रहा है तो फिर उसे तत्काल नियुक्ति मिल जाएगी. दूसरा यह है कि अगर कोई अधिकारी किसी मंत्री के स्टाफ में था, लेकिन अब वह मंत्री नहीं है तो फिर उन्हें नए मंत्री के स्टाफ में जगह मिल सकती है. जबकि तीसरे पेरामीटर के मुताबिक अगर कोई अधिकारी किसी मंत्री के स्टाफ में रह चुका है और फिर से उसी मंत्री के स्टाफ में जाना चाहता है तो उसे एंट्री नहीं मिलेगी. यानि केवल दो कंडीशन में ही अधिकारियों को मंत्रियों के स्टाफ में जगह मिल सकेगी.
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मंत्रियों को मिलता है इतना स्टाफ
किसी भी सरकार में शामिल मंत्रियों को शासन की तरफ से कुछ स्टाफ मिलता है, यह स्टाफ मंत्रियों की रैंक के हिसाब से मिलता है. कैबिनेट मंत्री का स्टाफ अलग होता है, जबकि राज्यमंत्री का स्टाफ अलग होता है.
कैबिनेट मंत्री का स्टाफ
एक विशेष सहायक अधिकारी ( यह अधिकारी राजपत्रित होता है)
एक निजी सचिव (सचिव शासन में ग्रेड-2 या ग्रेड-3 का कर्मचारी होता है)
एक निजी सहायक (सचिव शासन में ग्रेड-2 या ग्रेड-3 का कर्मचारी होता है)
पांच कर्मचारी ग्रेड-4 के होते हैं, एक एलडीसी और एक यूडीसी होता है
इसके अलावा मंत्री कुछ कर्मचारियों अपने विभाग से अटैच कर सकते हैं.
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
सरकार में जो राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के होते हैं, उन्हें लगभग कैबिनेट मंत्री के बराबर ही स्टाफ मिलता है. यानि जितना स्टाफ कैबिनेट मंत्री के पास रहता है, उतना ही राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के पास भी होगा. वहीं राज्यमंत्री के स्टाफ में विशेष सहायक नहीं मिलता है, बाकि स्टाफ में कर्मचारियों की नियुक्तियां होती हैं.
अहम होती हैं नियुक्तियां
दरअसल, किसी भी मंत्री का स्टाफ उसके लिए सबसे अहम माना जाता है. मंत्री के पास जिस विभाग का दायित्व होता है उस विभाग से समन्वय का काम मंत्री का स्टाफ ही बनाता है. पूरा स्टाफ मंत्री के अधीन ही काम करता है. विभाग के अधिकारियों का संपर्क मंत्री के स्टाफ से ही रहता है. जबकि सभी जरूरी जानकारी मंत्री का स्टाफ ही मंत्री तक पहुंचाता है. इसलिए मंत्री अपनी पसंद का स्टाफ चाहते हैं.
फिलहाल मोहन सरकार में शामिल मंत्रियों के स्टाफ में कई अधिकारी ऐसे हैं जो पहले भी मंत्रियों के स्टाफ में काम कर चुके हैं. वे इस बार भी सरकार के मंत्रियों के स्टाफ में शामिल हैं. जबकि अब तक सरकार की तरफ से मंत्रियों के स्टाफ को नियुक्तियां नहीं मिली हैं.
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