MP News: भारतीय राजनीति में कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी और बिहार से होकर गुजरता है, यानि दिल्ली जीतना है तो बिहार और यूपी में अपनी जड़े मजबूत करनी होगी. जिसमें यादव समाज की उपयोगिता और राजनीतिक महत्व सबसे अहम माना जाता है. बिहार में लालू यादव पिछड़ा वर्ग के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं, जो बीजेपी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा भी हैं, ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नई राजनीतिक जमावट में जुटी है, जिसमें मध्य प्रदेश के नए नवेले मुख्यमंत्री मोहन यादव सबसे अहम किरदार हैं. क्योंकि मोहन यादव बिहार और यूपी में बीजेपी के लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं, जिसकी पहली झलक आज बिहार की राजधानी पटना में देखने को मिल सकती है. 


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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 18 जनवरी को बिहार की राजधानी पटना के दौरे पर रहेंगे. वे यहां BJP कार्यालय में बैठक करेंगे. साथ ही यादव समाज के कार्यक्रम में भी शामिल होंगे. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी मोहन यादव के जरिए बिहार में यादव वोट बैंक में सेंधमारी की तैयारियों में जुट गई है. 


पटना में CM मोहन यादव 
CM मोहन यादव गुरुवार को करीब 5 घंटे पटना में रहेंगे. यहां उनका भव्य स्वागत किया जाएगा. पटना में वे कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे. वे करीब 12 बजे पटना पहुंचेंगे. यहां BJP कार्यकर्ता उनके भव्य स्वागत किया जाएगा. यहां वे विशिष्ट जनों के साथ स्व चाय पर चर्चा करेंगे. इसके बाद इस्कॉन मंदिर में पूजा भी करेंगे. यादव समाज के कार्यक्रम में शामिल होंगे. साथ ही बिहार प्रदेश BJP कार्यलय में विधायक, सांसद, पूर्व विधायक और प्रदेश प्रभारियों के साथ बैठक करेंगे. इस मीटिंग में  लोकसभा चुनाव को लेकर मंथन होगा.


यादव वोट बैंक पर सेंधमारी की तैयारी
बिहार में पिछले 30 सालों की राजनीति को देखा जाए तो लालू यादव और नीतीश कुमार के आगे आने के बाद दोनों नेताओं की पार्टियां RJD और JDU मुस्लिम और यादवों के बीच मजबूत किलेबंदी करके अपनी सरकारें चलाती रही हैं. इस दौरान BJP ने नीतीश कुमार के साथ गठबंधन सरकार तो चलाई लेकिन खुद कभी सीधे सत्ता में नहीं आ पाई. CM मोहन यादव मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार बिहार आ रहे हैं. लोकसभा चुनाव से पहले उनके इस दौरे के कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. उनके इस दौरे के बिहार में यादव वोट बैंक से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल, जातीय जनगणना के मुताबिक बिहार में करीब 14 प्रतिशत यादव समाज की आबादी है. ऐसे में CM मोहन यादव को बिहार में बुलाकर BJP यादव वोटर्स का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश करने में जुटी है. 


बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े
2 अक्टूबर 2023 को बिहार सरकार ने राज्य की जातीय जनगणना के आंकड़े जारी किए थे. इन आंकड़ों के मुताबिक, बिहार की आबादी में करीब 14 प्रतिशत यादवों की भागीदारी है. बता दें कि बिहार में कुल 40 लोकसभा सीट हैं, जिनमें से 5 लोकसभा सीटों पर यादव समाज निर्णायक भूमिका में है. 


मोहन यादव बनेंगे 'ट्रंप कार्ड'
साल 2024 में लोकसभा चुनाव के बाद अगले ही साल यानी 2025 में  बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. बिहार में सरकार चला रहे 'महागठबंधन' में चुनाव से पहले कहीं न कहीं लालू यादव के बेटे और राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बतौर अगला मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट दिखाया जाता है. हालांकि नीतीश कुमार और कांग्रेस ने इस पर खुलकर कभी कुछ नहीं बोला. लेकिन यह मुद्दा प्रदेश की सियासत में चर्चा में रहता है.  ऐसे में BJP मोहन यादव वाले अपने इस दांव के जरिए ये भी साबित करना चाहती है कि पार्टी ने ज्यादा OBC जनसंख्या वाले राज्य में OBC चेहरा को मौका दिया है. ऐसे में बिहार में भी अगर जनता BJP को मौका देती है तो यादव समाज से CM बन सकता है.  


बिहार लोकसभा सीटों पर एक नजर
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में से 17 सीटों पर BJP ने जीत हासिल की थी. 16 सीट पर JDU, 6 सीट पर LJP और 1 सीट पर कांग्रेस है. 


बिहार में M-Y वोट बैंक
बिहार की राजनीति में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग बड़ा वोट बैंक हैं. 2 अक्टूबर 2023 को जारी जातीय जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में सबसे ज्यादा अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 प्रतिशत जबकि पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12 प्रतिशत है. इसके साथ ही मुस्लिमों की आबादी 17.70% है. राज्य में लंबे अरसे से इन्हीं दो वोट बैंक के समीकरण से लालू यादव और नीतीश कुमार सत्ता पर काबिज रहे. ऐसे में अब BJP इसका काट लाने में जुटी हुई है.