CM Mohan Yadav UP Visit: भोपाल/लखनऊ। मध्य प्रदेश में भारी बहुमत हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी की नजर अब लोकसभा की 40 सीटों वाले बिहार और 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में हैं. इसके लिए पार्टी एमपी के मुख्यमंत्री मोहन यादव का सहारा ले रही है. पिछले दिनों बिहार के दौरे पर जाने के बाद अब मोहन यादव उत्तर प्रदेश जाने वाले हैं. माना जा रहा है यादव समाज के कार्यक्रम में शामिल मोहन यादव उत्तर प्रदेश की यादव बाहुल्य सीटों पर साधने की कोशिश करेंगे. आइये जानें दौरा और समझे क्या है सियासी गणित?


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3 मार्च को है दौरा
लखनऊ में 3 मार्च को श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले से जुड़े मुख्य पक्षकार मनीष यादव यादव महाकुंभ का आयोजन कर रहे हैं. इसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को निमंत्रण दिया गया है. जानकारी के अनुसार, उन्होंने ने इस निमंत्रण को स्वीकार भी कर लिया है.


स्वागत की तैयारी जोरों पर
डॉक्टर मोहन यादव, यादव समाज की ओर से आयोजित यादव महाकुंभ में हिस्सा लेंगे. यहीं से वो लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समाज को भाजपा के पक्ष में साधने का प्रयास करेंगे. इस महाकुंभ का आयोजन लखनऊ में बिजनौर रोड स्थित गुंडोरा मैदान में होगा. जिसके मुख्य आयोजक श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले से जुड़े मुख्य पक्षकार मनीष यादव हैं. मनीष मोहन यादव के स्वागत की तैयारी कर ली है.


क्या है बीजेपी का टारगेट?
उत्तर प्रदेश में 8-9 फीसदी यादव वोटर हैं. लेकिन, इसका असर विधानसभा की 50 सीटों और लोकसभा की बात करें तो करीब 10 सीटें यादव बाहुल्य है. वहीं ओबीसी जातियों की बात करें तो यादव, उत्तर प्रदेश में OBC जातियों में बड़ा हिस्सा रखते हैं. सबसे बड़ी और खास बात ये है कि यूपी में मंडल कमीशन के बाद हुई गोलबंदी के कारण समाजवादी पार्टी का कोर वोटर यादव बन गए. इसका असर तमाम चुनावों में दिखा भी है.


बीजेपी करना चाहती है सेंधमारी
उत्तर प्रदेश में SP  के लिए एमवाय समीकरण काफी चलता है. यानी मुस्लिम और यादव. इन्होंने ही साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की लाज बचाई थी. क्योंकि, इन चुनावों में समाजवादी पार्टी के 3 मुस्लिम और 2 यादव प्रत्याशी जीत कर आए थे. अब 2024 में क्लीन स्वीप करने का इरादा रखने वाली भाजपा इसी वोट बैंक में सेंधमारी की तैयारी कर रही है.


बिहार में दिखाया असर
बता दें 18 जनवरी को मोहन यादव बिहार के दौरे पर पहुंचे थे. यहां स्थानीय कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के बाद उन्होंने पार्टी नेताओं के साथ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी. इसके ठीक 10 दिन बाद बिहार में लालू यादव के समर्थन से चल रही नीतीश सरकार गिर गई. बाद में नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई. भाजपा की इस कामयाबी को भी बिहार में मोहन यादव से जोड़कर देखा जा रहा है.