क्या मध्यप्रदेश के घोषणा पत्र में कांग्रेस `बजरंग दल बैन` को शामिल करेगी? दिग्विजय सिंह ने दिया ये जवाब
एक तरफ जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह लगातार बजरंग दल पर हमला बोल रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ उनके भाई लक्ष्मण सिंह बजरंग दल का बचाव करते हुए दिख रहे है. वहीं जब बैन को लेकर उनसे सवाल पूछा गया तो आइये जानते हैं, उन्होंने क्या कहा...
Digvijay Singh on Bajrang Dal: कर्नाटक चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि राज्य में सरकार बनने पर बजरंग दल पर कार्रवाई करेंगे. अब वहां पर तो कांग्रेस की सरकार बन गई, लेकिन इसकी आंच अब मध्यप्रदेश के कांग्रेस नेताओं तक भी आने लगी है. रायसेन पहुंचे दिग्विजय सिंह से जब पूछा गया कि कर्नाटक की तर्ज पर क्या मध्यप्रदेश में बजरंग दल पर बैन लगाया जाएगा? तो दिग्विजय सिंह काफी भड़क गए.
सुप्रीम कोर्ट का दिया हवाला
जब दिग्विजय सिंह से सवाल किया गया कि क्या कर्नाटक की तरह बजरंग दल को मध्यप्रदेश में बैन किया जाएगा? या चुनावी घोषणा पत्र में इसे शामिल किया जाएगा. तो दिग्विजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि माननीय उच्चतम न्यायलय का फैसला है कि कोई भी व्यक्ति जाति, धर्म के खिलाफ भड़काने वाला भाषण देता है. तो उस पर राज्य सरकार कार्रवाई कर सकती है. हम उस पर कायम रहेंगे..
जब दूसरी बार दिग्विजय सिंह से पूछा गया कि क्या घोषणा पत्र में इसे शामिल किया जाएगा तो वो भड़कते हुए बोले कि मैं जो बात का उत्तर दे रहा हूं, वो आप सुनना नहीं चाहते. मैं वो उत्तर नहीं दूंगा जो आप देना चाहते है.]
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BJP मांगे माफी
रायसेन में अपने भाषण के दौरान दिग्विजय सिंह ने कहा कि कहा की वे एक सनातनी धर्म को मानने वाले हिंदू हैं. लेकिन जिस तरह से जो लोग बजरंगबली की तुलना बजरंग दल से कर रहे हैं उन पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए और भारतीय जनता पार्टी को माफी मांगना चाहिए. साथ ही साथ कहा कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा धर्म को राजनीति का हथियार मानकर राजनीति की जा रही है, जबकि संविधान के अनुसार धर्म का राजनीति में उपयोग नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि लोग बजरंगवली की तुलना बजरंग दल से कर रहे हैं उन पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए.
बजरंग दल देश विरोधी नहीं- लक्ष्मण सिंह
वहीं दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने इंदौर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि बजरंग दल राष्ट्रविरोधी संगठन नहीं है।. इसलिए उनपर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए. यदि एनआइए कुछ नहीं कह रहा है तो प्रतिबंध लगाने का सवाल ही नहीं उठता. यदि कोई हिंसक गतिविधियों में शामिल होता है तो पुलिस कार्रवाई करेगी.