मनोज गोस्वामी/दतियाः मध्य प्रदेश के दतिया में संचालित हो रहे अरबिया मदरसे में बच्चों को हिंदी के साथ ही ऊर्दू में शिक्षा देने का आरोप लगा है. बता दें कि मदरसे में बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के बच्चे भी पढ़ते हैं. ऐसे में हिंदू बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने का आरोप लगा था. बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने बीती 9 दिसंबर को मदरसे का दौरा भी किया था. 


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बाल अधिकार संरक्षण आयोग के दौरे में पता चला कि मदरसे में 38 फीसदी बच्चे हिंदू समुदाय के हैं. ऐसे में आयोग ने दतिया कलेक्टर को नोटिस जारी कर मामले की जांच करने के निर्देश दिए. आयोग ने कलेक्टर को 10 दिन में जांच रिपोर्ट देने को कहा. इसके बाद प्रशासन ने एसडीएम ऋषि कुमार सिंह को जांच के लिए मदरसे भेजा. अभी तक की जांच में पता चला है कि कुछ बच्चे ऊर्दू सीख रहे थे लेकिन बच्चों के मना कर पर उन्हें ऊर्दू की शिक्षा नहीं दी जा रही है. 


गौरतलब है कि स्कूल में कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. मदरसे में पदस्थ शिक्षक ने हिंदू बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने की बात से साफ इंकार किया लेकिन वह कोई भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करा सका. वहीं मुस्लिम बच्चे की अभिभावक रोशनी ने बताया कि मदरसे में कोई ऊर्दू टीचर ही नहीं है तो ऊर्दू में शिक्षा देने की बात पूरी तरह से निराधार है. दावा किया जा रहा है कि अरबिया मदरसे में हिंदू मुस्लिम एक साथ पढ़ते हैं. 


उल्लेखनीय है कि हिंदू बच्चों को मदरसे में पढ़ने का यह कोई पहला वाक्या नहीं है. कुछ माह पहले ही मध्य प्रदेश के विदिशा में भी 35 गोंड आदिवासी बच्चों के मदरसे में पढ़ने का खुलासा हुआ था. जांच में पता चला था कि इन बच्चों का एडमिशन सरकार स्कूल में हुआ था लेकिन वहां दस्तावेजों के अभाव में उन्हें पढ़ाई से रोका गया तो ये बच्चे मदरसे में पढ़ने लगे. जिस मदरसे में बच्चे पढ़ रहे थे वह सरकारी अनुदान प्राप्त है और एक संकरी गली में एक कमरे में संचालित हो रहा है.