Dhar Bhojshala Survey: धार जिले में स्थित भोजशाला का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे का आज छठवां दिन है. आज सुबह 7.30 बजे से  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम सर्वे शुरू कर सकती है. 5वें दिन 9 घंटे तक टीम ने सर्वे किया था. मंगलवार होने की वजह से हिंदू समाज के लोगों ने पूजा अर्चना भी की थी.  ASI की टीम हिन्दू - मुस्लिम पक्षकारों की मौजूदगी में सर्वे कर रही रही है. जानिए अभी तक सर्वे के दौरान क्या - क्या हुआ. 


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खुदाई के दौरान क्या - क्या हुआ


  • भोजशाला कों अंदर बाहर नापा गया मतलब लम्बाई चौड़ाई का मेजरमेंट मिलाया गया.

  • भोजशाला के अंदर बाहर से मिट्टी के सेम्पल लिए गए.

  • खुदाई करके निकाले गए पत्थरों के सेम्पल लिए गए जिससे भोजशाला की उम्र पता की जा सके.

  • कार्बन डेटिंग की गई, भोजशाला के अंदर मौजूद पत्थरों पर मौजूद कलाकृतियों कों रिकॉर्ड किया उनके सबूत लिए.

  • भोजशाला के बाहरी हिस्से में अबतक 3 से अधिक पांच से 6 फ़ीट तक के गड्डे खोदे गए जिनमें से मिट्टी और पत्थर निकाले गए.

  • भोजशाला के बाहर कमाल मौला मज्जिद तक मार्किंग की गई. 

  • मंगलवार का दिन होने की वजह से भोजशाला में हिन्दू पक्ष के लोगों ने पूजा अर्चना की. 


क्या है भोजशाला
11वीं शताब्दी में मध्य प्रदेश के धार जिले में परमार वंश का शासन था. 1000 से 1055 ई. तक राजा भोज धार के शासक थे. खास बात यह थी कि राजा भोज देवी सरस्वती के बहुत बड़े भक्त थे. 1034 ई. में राजा भोज ने एक महाविद्यालय की स्थापना की थी, यह महाविद्यालय बाद में 'भोजशाला' के नाम से जाना गया, जिस पर हिंदू धर्म के लोग आस्था रखते हैं.


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ऐसे बना मस्जिद 
इतिहासकार बताते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी ने 1305 ई. में भोजशाला को ध्वस्त कर दिया था. इसके बाद 1401 ई. में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में एक मस्जिद बनवाई. इसके बाद महमूद शाह खिलजी ने 1514 ई. में भोजशाला के एक अलग हिस्से में एक और मस्जिद बनवाई. 1875 में खुदाई करने पर यहां से मां सरस्वती की एक प्रतिमा का निकली थी. जिसे बाद में मेजर किंकैड लंदन लेकर गए. यह प्रतिमा अब लंदन के संग्रहालय में है, जिससे इसे वापस लाने के लिए एक याचिका दायर की गई है.


(धार से कमल सोलंकी की रिपोर्ट)